अशोक गहलोत सरकार के कई मंत्रियों का भाग्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची तैयार करने के लिए बुधवार को लंबी बैठकें कीं। मध्य प्रदेश, मिजोरम, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे अन्य चुनाव वाले राज्यों में पार्टी की लिस्ट आ गई, लेकिन राजस्थान में तो अभी पहली सूची में नहीं जारी हुई है। वहां पर 25 नवंबर को चुनाव होने हैं।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों समेत कुछ विधायकों को पार्टी से बाहर करने को लेकर पार्टी में गंभीर मतभेद हैं। सीएम गहलोत अपने सभी मंत्रियों को फिर से नॉमिनेट करने के इच्छुक थे। वो ये भी चाहते हैं कि पार्टी 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए सभी छह पूर्व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायकों के साथ-साथ निर्दलीय विधायकों को भी मैदान में उतारे, जिनमें से ज्यादातर पूर्व कांग्रेसी थे। उन्होंने संकट के दौरान उनकी सरकार का समर्थन किया था।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया कि नेतृत्व उन लोगों को टिकट नहीं देना चाहता, जिनके जीतने की संभवना कम या बहुत कम है। दावा किया जा रहा कि इसका आकलन चुनावी रणनीतिकार सुनील कनुगोलू की टीम द्वारा किए गए आंतरिक सर्वेक्षणों पर आधारित है।
हालांकि सूत्र ये भी दावा कर रहे कि कनुगोलू की टीम द्वारा पहचाने गए संभावित उम्मीदवारों की सूची से गहलोत पूरी तरह सहमत नहीं हैं। गहलोत ने एक बैठक में कथित तौर पर कहा था कि वो राजस्थान को रणनीतिकारों से बेहतर जानते हैं।
सूत्रों ने बताया कि जिन मंत्रियों की किस्मत अधर में लटकी है, उनमें शांति कुमार धारीवाल, महेश जोशी, गोविंद राम मेघवाल और शकुंतला रावत शामिल हैं। धारीवाल और जोशी उन तीन कांग्रेस नेताओं में शामिल थे, जिन्हें पिछले साल हाईकमान ने तब कारण बताओ नोटिस दिया था, जब उन्होंने गहलोत के नेतृ्त्व के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया था।
100 सीटों पर हुई चर्चा
कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने बुधवार को लगभग 100 सीटों के लिए उम्मीदवारों पर चर्चा करने के लिए बैठक की। सूत्रों के मुताबिक पैनल ने उनमें से केवल आधी सीटों को ही मंजूरी दी है।