World Cup 2023: एक पुरानी कहावत है कि ‘देखन में छोटे लगे, घाव करे गंभीर’। ये कहावत क्रिकेट के मैदान पर, वो भी इस बार के वनडे विश्व कप में खरी उतरती दिख रही है। पहले अफगानिस्तान ने मौजूदा वनडे विश्व चैंपियन इंग्लैंड को चौंकाया और फिर इसी सिलसिले को नीदरलैंड की टीम ने बरकरार रखा और दक्षिण अफ्रीका को चारों खाने चित कर दिया।
हर कोई हैरान है और अफ्रीकी टीम के खिलाड़ी हक्का-बक्का। बारिश की वजह से 43 ओवर के इस मुकाबले में नीदरलैंड ने एक वक्त सात विकेट सिर्फ 140 रन पर ही खो दिए थे, लेकिन फिर कप्तान स्कॉट एडवर्ड्स ने लीडिंग फ्रॉम द फ्रंट की मिसाल पेश करते हुए पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ मिलकर स्कोर को न सिर्फ 245 रनों तक पहुंचाया बल्कि ये अहसास करा दिया कि उन्हें हल्के में लेने की भूल कभी मत करना। बारी जब गेंदबाजों की आई तो दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों को कभी पॉल वान मीकरन ने अपनी रफ्तार पर छकाया तो कभी रूलोफ वान डर मेर्व की फिरकी कहर बनकर टूटी। नतीजा ये कि धर्मशाला में मैदान पर वो ऐतिहासिक कारनामा हो गया जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी।
नीदरलैंड के सामने दक्षिण अफ्रीका घुटनों पर था। दिल्ली से धर्मशाला तक की दूरी तय करने में तस्वीर एकदम उलट ही गई। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैदान पर सरेंडर करने वाले ये दक्षिण अफ्रीका के वही बल्लेबाज हैं, जिन्होंने दिल्ली में श्रीलंका के खिलाफ 428 रनों का पहाड़ खड़ा कर वनडे विश्व कप का सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड अपने नाम किया था।
तीन बल्लेबाजों के शतक समेत कई और रिकॉर्ड भी अफ्रीकी बल्लेबाजों के नाम थे। धर्मशाला में नीदरलैंड की जीत इसलिए भी ज्यादा हैरान करने वाली है क्योंकि मौजूदा टूर्नामेंट में अब तक दक्षिण अफ्रीका की टीम सबसे दमदार अंदाज में दिख रही थी। चाहे वो बल्लेबाज़ी हो या फिर गेंदबाज़ी। हालांकि पहले अफगानिस्तान की उड़ान और अब नीदरलैंड के चैंपियन अंदाज ने इस बात का अहसास करा दिया है कि उन्हें छोटा या कमजोर समझने की भूल मत करना…और अगर आप ऐसा करते हैं तो बड़े जख्म के लिए तैयार रहिए।
ये पहला मौका नहीं है जब नीदरलैंड की टीम ने दक्षिण अफ्रीका को मैदान पर चौंकाया हो। हां, बस फॉर्मेट बदल गया है। नीदरलैंड ने 2022 में टी20 वर्ल्ड कप में बड़ा उलटफेर किया था। तब उसने अफ्रीकी टीम को 13 रन से हराया था। इस हार के कारण दक्षिण अफ्रीका की टीम टी20 वर्ल्ड कप से बाहर हो गई थी। किसी को भी दक्षिण अफ्रीका की उस हार पर यकीन नहीं हुआ था। उस वक्त दक्षिण अफ्रीकी टीम के कप्तान तेंबा बावुमा ने कहा था कि इस हार को पचाना मुश्किल है। इस बार भी बावुमा एंड कंपनी के लिए हार को हजम करना आसान नहीं होगा क्योंकि मौजूदा विश्व कप टूर्नामेंट में वे अर्श से सीधे फर्श पर आ गए हैं। कप्तान बावुमा हार के बाद कहते दिखे- ‘इट विल हर्ट।’ नीदरलैंड ने अपने आक्रामक अंदाज तो वैसे क्वालीफायर टूर्नांमेंट से ही दिखाने शुरू कर दिए थे। तब उनके निशाने पर दो बार की विश्व विजेता टीम वेस्टइंडीज थी। फिर क्या था नीदरलैंड ने वेस्टइंडीज को ऐसी पटखनी दी कि उसकी विश्व कप टूर्नामेंट में एंट्री और वेस्टइंडीज का पहली बार पत्ता साफ। नीदरलैंड की ऑरेंज आर्मी के इरादे एकदम साफ हैं। मैदान पर जीत के लिए भूख साफ दिख रही है और ये बता रही है कि दुनिया भले ही उन्हें चैंपियन बनने की रेस में न मान रही हो लेकिन वे बड़ी से बड़ी टीम के चैंपियन बनने का खेल तो जरूर बिगाड़ सकते हैं। वैसे दीवाली से पहले दिल्ली में अफगानिस्तान ने जो धमाका किया, वो भी छोटा नहीं है। सामने अगर मौजूदा विश्व चैंपियन हो तो हर कोई नतीजा तय मानकर चल रहा था। हालांकि अफगानिस्तान के खिलाड़ियों की सोच तो कुछ और ही थी। उनकी इस सोच ने मैदान पर नतीजा और क्रिकेट पंडितों की भविष्यवाणी दोनों को ही बदलकर रख दिया। इंग्लैंड के बल्लेबाज फिरकी के फेर में ऐसे फंसे कि बस घूमते ही रह गए…और जब उन्हें होश आया तो अफगानिस्तान के खिलाड़ी जीत का जश्न मना रहे थे।
अगर वनडे विश्व कप की बात करें तो इंग्लैंड ही वो टीम है जो उलटफेर का सबसे ज्यादा शिकार हुई है। इंग्लैंड को 2011 विश्व कप में दो कमजोर समझी जाने वाली टीमों से मात मिली। उसे पहले आयरलैंड और फिर बांग्लादेश ने हराया। चार साल बाद 2015 में स्टार खिलाड़ियों से लैस खिताब की मजबूत मानी जा रही इंग्लैंड की टीम पर बांग्लादेश की टीम फिर बीस पड़ी। नतीजा ये हुआ कि इंग्लैंड टूर्नामेंट से बाहर हो गई। वनडे विश्व कप का इतिहास तो वैसे उलटफेरों से भरा हुआ है..लेकिन सबसे बड़ा उलटफेर तो 40 साल पहले हुआ…साल 1983 और जगह- इंग्लैंड। विश्व कप टूर्नामेंट में सबसे कमजोर मानी जाने वाली भारतीय टीम ने इतिहास रचा। कपिल देव की अगुवाई वाली टीम के जीत के जुनून के सामने दो बार की चैंपियन क्लाइव लॉयड की वेस्टइंडीज की टीम ने भी घुटने टेक दिए। हर खिलाड़ी चैंपियन साबित हुआ, मैदान पर किसी योद्धा की तरह लड़ा। कपिल और उनके डेयरडेविल्स ने क्रिकेट के जन्मदाता देश में सिर्फ इस जेन्टलमैन्स गेम का इतिहास ही नहीं बदला बल्कि भारतीय खेलों की दुनिया का भूगोल बदल दिया।
1983 में उलटफेर सिर्फ भारत ने ही नहीं किया बल्कि जिम्बाब्वे ने भी ऑस्ट्रेलिया को पीटकर सबको हैरान कर दिया था। जिम्बाब्वे जैसी कमजोर मानी जाने वाली टीम ने ये सिलसिला आगे भी जारी रखा। उसने 1999 विश्व कप में भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों को हराकर अपना लोहा मनवाया। विश्व कप मुकाबलों में बांग्लादेश भी मजबूत मानी जाने वाली टीमों को चौंकाता रहा है। 1999 में उसने पाकिस्तान को पीटा तो 2007 विश्व कप में सितारों से लैस भारतीय टीम को हराकर उसका रिटर्न टिकट पक्का कराया। केन्या की टीम भी कई बार बड़ी टीमों पर भारी पड़ी। 1996 विश्व कप में उसने वेस्टइंडीज को हराया तो 2003 में क्रिकेट के महाकुंभ में श्रीलंका को पीटकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया। आयरलैंड भी वनडे क्रिकेट विश्व कप में उलटफेर कर खुद को साबित कर चुका है। उसने 2007 में पाकिस्तान को मात दी तो वहीं 2011 में इंग्लैंड और 2015 में वेस्टइंडीज को हराकर दुनिया को बता दिया कि भले ही उसे क्रिकेट के मैदान पर दूसरी टीमों के मुकाबले कमजोर आंका जाता हो, लेकिन उसमें भी बड़ा धमाका करने की काबिलियत है। यानी इतिहास गवाही दे रहा है कि क्रिकेट को क्यों अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है। भले ही कागज पर आंकड़ें कुछ भी हों लेकिन मैदान पर ऊंट किस करवट बैठेगा, इसकी भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल है। मौजूदा वनडे विश्व कप के महज 12 दिन हुए हैं और सिर्फ 15 मैच ही खेले गए हैं। इन मुकाबलों में दो मजबूत मानी जाने वाली टीमों इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका को खुद से कमजोर टीमों से हार मिली है। ये इशारा कर रहा है कि आगे-आगे देखिए होता है क्या। क्योंकि इस वनडे विश्व कप टूर्नामेंट का सफर लंबा है। हर टीम को नौ-नौ मुकाबले खेलने हैं और फिर सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले खेले जाएंगे। ऐसे में सभी टीमों को संभलकर और पूरे दमखम के साथ मैदान पर उतरना होगा, नहीं तो क्या पता कोई और छोटी टीम बड़ा धमाका उनके खिलाफ कर दे।