Bageshwar Bypoll: हम आपको उन 10 कारणों के बारे में बताएंगे कि कैसे भाजपा ने बागेश्वर उपचुनाव में एक तरह से हारी हुई बाजी पलट दी और कांग्रेस को फिर से हार का सामना करना पड़ा।
बागेश्वर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने फिर से अपनी सीट को जीतने में कामयाब हो गई है। इसके पीछे कई कारण है लेकिन हम आपको उन 10 कारणों के बारे में बताएंगे कि कैसे भाजपा ने एक तरह से हारी हुई बाजी पलट दी और कांग्रेस को फिर से हार का सामना करना पड़ा है।
10- भाजपा का प्रचार अभियान
बागेश्वर सीट को भाजपा ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया था। इसके लिए पार्टी के बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ता ने जमकर प्रचार किया। खुद मुख्यमंत्री धामी ने कई दिनों तक पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में रैली और जनसभाएं की।
9- सहानुभूति लहर
सीएम धामी के कैबिनेट में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रहे भाजपा विधायक चंदन राम दाम के निधन के बाद बागेश्वर सीट रिक्त हुई थी। इस पर भाजपा ने चंदन राम की पत्नी पार्वती को टिकट देकर मैदान में उतारा था। इस वजह से भाजपा को सहानुभूति लहर का भी फायदा मिला।
8- PM मोदी का असर
बागेश्वर चुनाव में भाजपा ने PM मोदी के नाम का भी भरपूर इस्तेमाल किया। हालांकि प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार के लिए तो नहीं गए। लेकिन पार्टी ने उनके केदारनाथ और बद्रीनाथ के विकास कार्यों को भी जनता के सामने रखा।
7- CM धामी का बुलडोजर एक्शन
अपने बुलडोजर एक्शन को लेकर जैसे UP के CM योगी आदित्यनाथ फेमस हैं। उसी तरह धामी भी अपने राज्य में अवैध मजारों और अतिक्रमणों पर बुलडोजर कार्रवाई के लिए फेमस हो रहे हैं
6- सही वक्त पर सही फैसला
भाजपा से उपचुनाव में टिकट पाने के लिए कई प्रत्याशियों ने आवेदन किया था। लेकिन पार्टी ने टिकट देने का फैसला हाईकमान को सौंप दिया और पार्टी ने दिवंगत मंत्री की पत्नी को टिकट देकर एक तीर से कई निशाना साधा। इससे पार्टी में बगावत रोकने के साथ ही मजबूरी में ही सही लेकिन पार्टी के हर नेता को अपना समर्थन देना पड़ा।
5- दलितों का भाजपा पर बढ़ता भरोसा
राजनीति के जानकार बताते हैं कि जो जनता हमेशा भाजपा के लिए वोट करती आई है, वह कभी दलगत राजनीति का हिस्सा नहीं रही। वहीं, पिछले 4 चुनावों से प्रदेश के दलितों का भाजपा पर भरोसा बढ़ा है। सोने पर सुहागा ये कि यह सीट दलित के लिए सुरक्षित है।
4- भाजपा का वोटर निकला
आम तौर पर यह देखा गया है कि भाजपा का वोटर उपचुनाव में वोट करने के लिए नहीं निकलता हैं। लेकिन इस चुनाव में भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को वोट डालने के लिए अभियान चलाया और वोटरों को बूथ तक पहुंचाया।
3- भाजपा का गढ़
उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार पार्वती दास ने कांग्रेस के बसंत कुमार को करारी शिकस्त दी है। पार्वती दास ने कांग्रेस नेता को 2810 मतों के अंतर से हराया है। कुमाऊं मंडल की इस सीट पर उपचुनाव पांच सितंबर को हुए थे, जिसमें 55.44 फीसदी मतदान हुआ था। दो दशकों से इस विधानसभा सीट पर बीजेपी जीत दर्ज करती आई है। उत्तराखंड में यह सीट भाजपा का गढ़ माना जाता है।
2- दलबदलू को टिकट देना कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया
इस उपचुनाव में बीजेपी ने जहां चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास को चुनाव मैदान में उतारा। वहीं, कांग्रेस ने उनके विरूद्ध बसंत कुमार को टिकट दिया। कुमार ने 2022 में पिछला विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर लड़ा था और उपचुनाव से ऐन पहले आप का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। हालांकि दलबदलू को टिकट देना कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया।
1- कांग्रेस नेताओं का लचर चुनाव प्रदर्शन
इस उपचुनाव में भाजपा के जीत और कांग्रेस के हार का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस पार्टी का अपने प्रत्याशी के लिए लचर चुनाव प्रचार करना भी रहा। पार्टी का कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं गया। वहीं, भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी थी।