महाराष्ट्र के जालना में मराठा प्रदर्शकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज के मसले पर बीजेपी फिलहाल अकेले पड़ते दिख रही है। अपने सहयोगियों से भी उसे पूरा समर्थन नहीं मिल पा रहा है। खासकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चुनौती बढ़ी हुई है, क्योंकि उनके पास गृह विभाग का भी जिम्मा है।
जालना की घटना की वजह से महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की कमजोरियां भी उजागर हो रही हैं। लाठीचार्ज की घटना को लेकर एनसीपी संस्थापक शरद पवार डिप्टी सीएम फडणवीस पर निशाना साध रहे हैं तो इस मसले पर दूसरी उपमुख्यमंत्री अजित पवार का स्टैंड भी फडणवीस को परेशान कर सकता है।
जालना के मुद्दे पर पर फडणवीस-अजित पवार में उभरे मतभेद जब जालना में मराठा प्रदर्शनकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज की खबर सबसे पहले आई तो देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि पहले अंतरावली गांव में प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंके, जिसके चलते हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी। जबकि, उनके सहयोगी और डिप्टी सीएम अजित पवार ने इस लाठीचार्ज की निंदा करके फडणवीस के बयान से अलग राय जाहिर की है।
अजित पवार ने पुलिस को बताया जिम्मेदार अजित पवार ने कहा कि ‘जालना में मराठा प्रदर्शनकारियों पर प्राथमिक तौर पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, रबर बुलेट फायर किए और अत्यधिक बल का इस्तेमाल किया। ‘ X पर (पहले ट्विटर) पवार ने लिखा, ‘ऐसे में पुलिस की भूमिका की जांच होनी चाहिए और मामले की स्वतंत्र निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।’
इस तरह से जालना की घटना को लेकर शिंदे सरकार के दोनों उपमुख्यमंत्रियों की राय बंटी हुई है। पवार ने फडणवीस और उनके गृह विभाग को पूरी तरह से कटघरे में कर दिया है। इस मामले में मराठा आरक्षण के आंदोलनकारी और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) पहले से ही फडणवीस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और उनके पद छोड़ने तक की मांग कर रहे हैं।
मराठा वोट बैंक की वजह से तेज हो गई है राजनीति
इस तरह से लगता है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक तौर पर इस संवेदनशील मसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुकी है। क्योंकि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद भी मराठा हैं और पहले दिन से पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए लोगों के प्रति न सिर्फ संवेदना जता रहे हैं, बल्कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की वकालत भी कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में 30% वोट बैंक है मराठा
इस मामले में शरद पवार ने विपक्ष के नेता के तौर पर और अजित पवार ने अपनी ही सरकार के खिलाफ जो सख्त स्टैंड लिया है, उसकी वजह ये है कि दोनों मराठा हैं और एनसीपी का राजनीतिक आधार ही मराठा राजनीति पर टिका हुआ है। अगर वोट बैंक के हिसाब से देखें तो महाराष्ट्र में इनकी संख्या 30% है।
डैमेज कंट्रोल में जुटे देवेंद्र फडणवीस
यही वजह है कि डिप्टी सीएम फडणवीस ने अब इस मामले पर डैमज कंट्रोल की कोशिशें शुरू कर दी हैं। अंतरावली गांव में जिस आंदोलनकारी मनोज जारांगे पाटिल के भूख हड़ताल के दौरान सारा बवाल हुआ था, फडणवीस ने उनसे भी बात की है। उन्होंने उन्हें भरोसा दिया है कि जालना की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जबकि, इनकी अगुवाई में कुछ मराठा संगठन घटना पर आए उनके बयान के लिए इस्तीफे की भी मांग कर चुके हैं।
इस मामले में महाराष्ट्र सरकार जालना के एसपी तुषार जोशी को पहले ही ‘जबरिया छुट्टी’ पर भेज चुकी है। सीएम शिंदे ने फिर से यह बात दोहराई है कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, उन्होंने फडणवीस के खिलाफ उभरे आक्रोश को कम करने की भी पहल शुरू की है और कहा है,’समुदाय को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार कुछ कदम उठा रही है। देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।’
दरअसल, महाराष्ट्र में अगले साल लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इसलिए मराठा आरक्षण का मुद्दा ज्यादा जोर पकड़ रहा है और राज्य सरकार इसका कुछ न कुछ रास्ता निकालने की कोशिशों में जुटी हुई है।