Vivek Ramaswamy News: भारतीय-अमेरिकी रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने कहा है, कि संयुक्त राज्य अमेरिका की एक नीति है, जो ताइवान को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं देती है, और ये बाद “रणनीतिक अस्पष्टता” की मुद्रा बनाती है, कि अमेरिका चीनी आक्रमण की स्थिति में द्वीप देश ताइवान की रक्षा करेगा या नहीं?
राष्ट्रपति पद की रेस में डोनाल्ड ट्रंप के बाद नंबर-2 पर पहुंच चुके विवेक रामास्वामी चीन के खिलाफ आक्रामक प्रचार अभियान चला रहे हैं और उन्होंने बाइडेन प्रशासन से ताइवान को लेकर एक स्पष्ट नीति बनाने की मांग की है।
विवेक रामास्वामी ने तीखे तेवर
बीजिंग ताइवान को अपना अलग प्रांत मानता है, और इस बात पर जोर देता है, कि यदि आवश्यक हो तो बलपूर्वक इसे मुख्य भूमि के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए। हालांकि, ताइवान खुद को चीन से पूरी तरह अलग मानता है।
ताइवान मुद्दे पर चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच रामास्वामी ने रविवार (3 सितंबर) को एक बयान में कहा, “यह सुनिश्चित करना अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हित के लिए महत्वपूर्ण है, कि चीन वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला पर एकमात्र नियंत्रण हासिल न कर ले।”
उन्होंने कहा, “लिहाजा, अमेरिका को रणनीतिक अस्पष्टता से रणनीतिक स्पष्टता की ओर जाना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, कि “जब तक अमेरिका सेमीकंडक्टर स्वतंत्रता हासिल नहीं कर लेता, तब तक चीनी कब्जे के खिलाफ ताइवान की सकारात्मक रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, और अमेरिका को, ताइवान को लेकर अपनी वर्तमान स्थिति को फिर से शुरू करना चाहिए।” बाइडेन प्रशासन ने, पिछले हफ्ते, विदेशी सैन्य वित्तपोषण (एफएमएफ) के तहत ताइवान को 80 मिलियन अमरीकी डालर के सैन्य सामानों की ट्रांसफर को मंजूरी दी, लेकिन ये काफी कम है और अमेरिका का पूरा ध्यान इस वक्त यूक्रेन युद्ध की तरफ है। वहीं, बाइडेन प्रशासन के इस कदम के बाद, चीन के एक सरकारी अखबार ने पलटवार करते हुए कहा है, कि अमेरिका ने “घातक परिणाम” वाली लाल रेखा पार कर ली है। भारतीय अमेरिकी विवेक रामास्वामी ने अपने चुनावी अभियान में कहा है, कि वर्तमान में अमेरिका “एक चीन” नीति को अपनाता है, जो ताइवान को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने में विफल है। रामास्वामी के चुनावी अभियान में कहा गया है, कि “अमेरिका की भ्रम वाली पॉलिसी की वजह से चीन के साथ संघर्ष का खतरा काफी बढ़ जाता है और जब दुनिया और आधुनिक जिंदगी, सेमीकंडक्टर पर इस हद तक निर्भर हो चुकी है, तो फिर संघर्ष का जोखिम और बढ़ जाता है।” विवेक रामास्वामी के अभियान में कहा गया है, कि “चीनी खतरे के खिलाफ ताइवान अपने खुद के सैन्य खर्च में दोगुना कर सकता है, जबकि अमेरिका भारत, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ, अपने स्वयं के सैन्य और आर्थिक गठबंधन को मजबूत करता है और अपनी मातृभूमि की रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकता है, हालांकि, इसमें परमाणु मिसाइल क्षमता शामिल नहीं होगी।” अभियान में आगे कहा गया है, कि “इसी तरह हम तीसरे विश्व युद्ध से बचते हुए, चीनी आक्रामकता को रोक सकते हैं और महत्वपूर्ण दीर्घकालिक अमेरिकी हितों को आगे बढ़ा सकते हैं।” रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने कहा, कि “मैं किसी भी राजनीतिक दल में एकमात्र अमेरिकी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार हूं, जिसने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण पेश किया है।”