अडानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च की जो रिपोर्ट सामने आई थी उसके बाद कंपनी के शेयर में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। इस मामले में ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि तकरीबन एक दर्जन कंपनियों, फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशक और फॉरेन इंस्टिट्यूशनल निवेशकों ने शॉर्ट सेलिंग के जरिए अच्छा मुनाफा बनाया था।
बता दें किशॉर्ट सेलिंग शेयर बाजार में एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए सिक्योरिटीज शेयर को बेचने के लिए उसे उधार लिया जाता है। ऐसे में जब शेयर के दाम गिरते हैं तो उसे वापस फिर से खरीदकर मुनाफा कमाया जाता है। इस तरह के निवेशक किसी भी शेयर के दाम गिरने पर उससे मुनाफा कमाते हैं। ईडी की ओर से इस मामले की जांच के बाद पनी रिपोर्ट को सौंप दिया है।
जिन शॉर्ट सेलर्स ने अडानी के शेयर में शॉर्ट सेलिंग की थी उनमे से किसी ने भी आयकर विभाग को ओनरशिप की जानकारी नहीं दी थी। इसमे तीन भारत के और चार मॉरीशस के शॉर्ट सेलर थे। कुछ कंपनियों ने तो हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने से 2-3 दिन पहले तक अपनी पोजीशन को कथित रूप से खुला रखा था। कुछ तो पहली बार शॉर्ट सेलिंग कर रहे थे।
बता दें कि जो विदेशी निवेशक सेबी के साथ रजिस्टर हैं वो डेरिवेटिव में ट्रेड कर सकते हैं, जोकि शॉर्ट टर्म सेलिंग करने का एक उपकरण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ शॉर्ट सेलर्स की कमाई में काफी उतार-चढ़ाव है। सेबी ने एक भारतीय फर्म के खिलाफ निवेशकों को गुमराह करने के चलते आदेश जारी किया था।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप में फर्जी कंपनियों का निवेश है। हालांकि अडानी ग्रुप ने इस तरह के आरोपों को खारिज किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से अपनी जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट पैनल का गठन किया था, जिसने कहा था कि अडानी ग्रुप की ओर से इस मामले में कोई गड़बड़ी नहीं की गई है।