मोदी सरनेम विवाद मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई। साथ ही निचली कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए। खंडपीठ ने ये भी पूछा कि निचली अदालत ने इस मामले में अधिकतम सजा क्यों दी?
वहीं सुनवाई के दौरान राहुल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए और बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी पर ही सवाल उठा दिए। पूर्णेश ने ही सूरत की अदालत में राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करवाया था।
सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिन-जिन लोगों का नाम लिया, उनमें से किसी ने केस नहीं किया। 13 करोड़ लोगों के समुदाय में केवल वही पीड़ित हुए और उन्होंने ही केस किया, जो बीजेपी के नेता हैं। उन्होंने ये भी कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम ‘मोदी’ नहीं है और उन्होंने बाद में यह उपनाम अपनाया।
सिंघवी ने आगे निचली अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि वहां के न्यायाधीश इसे गंभीर अपराध मानते हैं, जबकि ये अपराध समाज के विरुद्ध नहीं था। ना ही ये अपहरण या बलात्कार या हत्या का केस था। लोकतंत्र में हमारे पास असहमति है, जिसे हम ‘शालीन भाषा’ कहते हैं। गांधी कोई कट्टर अपराधी नहीं हैं।
सिंघवी ने ये भी बताया कि इस फैसले की वजह से राहुल की सांसदी चली गई और वो पिछले दो सत्र में संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वायनाड के लिए अब तक अधिसूचना जारी नहीं हुई, क्योंकि इन्हें (बीजेपी और केंद्र) मालूम है कि वो वहां से नहीं जीतेंगे। वहीं पूर्णेश मोदी के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि राहुल गांधी का भाषण पढ़िए, जान-बूझकर उन्होंने मोदी सरनेम के लोगों को बदनाम किया। देश के मौजूदा प्रधानमंत्री का नाम मोदी है, तो आपने पूरे एक समुदाय को बदनाम कर दिया। उनके भाषण में जाति का भी मामला है, मतलब ये दो तरह से मानहानि हुई। जज ने वकीलों को दी सलाह सिंघवी और जेठमलानी की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस गवई ने कहा कि केस को राजनीतिक मत बनाइए, आप और जेठमलानी जी अपनी राजनीति राज्यसभा के लिए बचाकर रखिए। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि वो जानना चाहते हैं कि अधिकतम सजा क्यों दी गई? सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो वो (राहुल गांधी) अयोग्य नहीं ठहराए जाते।
इस पर जेठमलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले राहुल गांधी को आगाह किया था जब उन्होंने कहा था कि राफेल मामले में शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है। हालांकि उनकी ये दलीलें काम नहीं आईं। सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी।