सिरसा, 27 जुलार्ई। हरियाणा सरकार ने विभिन्न सेवाओं का लाभ देने के लिए 100 से अधिक पोर्टल शुरू किए हैं। सरकार का दावा है कि पोर्टल के माध्यम से प्रदेश की जनता को बिना किसी झंझट के घर बैठे सेवाओं का लाभ मिल रहा है, मगर हकीकत में ऐसा नहीं है। पोर्टल की आड़ में लोगों को परेशान किया जा रहा है। खासकर किसानों को पोर्टल की आड़ में परेशान किया जा रहा है। इसलिए सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है। यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री कुमारी सैलजा ने जारी एक बयान में कही।
कांग्रेस नेत्री सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली को त्वरित करने के लिए और योजनाओं का लाभ सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटे बिना जनसाधारण को देने के लिए ऑनलाइन सिस्टम आरंभ किया है, जो कारगर सिद्ध हो रहा है। सीएम का दावा है कि सरकार ने 100 से अधिक पोर्टल बनाये हैं, जिसके चलते लोग चंडीगढ़ आए बिना ही अपने घर से मोबाइल, लैपटॉप व नागरिक सेवा केंद्रों से अपना कार्य ऑनलाइन करते हैं, लेकिन प्रदेश सरकार पोर्टल पर जनता की जिंदगी को गुमराह करने का काम कर रही है। पोर्टल योजनाओं की वजह से किसानों को भारी असुविधा और असहज स्थिति से गुजरना पड़ रहा है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा, मेरा पानी मेरा ब्यौरा, ई-क्षतिपूर्ति जैसे पोर्टल लांच किए हैं। चाहे गेहूं, कपास, बाजरे या सब्जियों की फसल हो, इसे पोर्टल पर चढ़ाना होता है। अभी कपास की बिजाई हो रही है, कुछ जगह हो चुकी है, उसको पोर्टल पर 31 जुलाई तक चढ़ाना आवश्यक है। किसानों ने शिकायत की है कि जिस पोर्टल पर यह ब्यौरा चढ़ाना होता है, वह चल ही नहीं रहा। साथ ही किसानों से कहा है कि पोर्टल पर पंजीकरण से पूर्व पटवारी या अन्य किसी अधिकारी के साइन करवाने होंगे। यानि, सरकार तय नहीं कर पा रही है कि पहले पोर्टल पर पंजीकरण करवाए या अधिकारी के साइन। यदि अधिकारी के साइन ही करवाने है तो फिर पोर्टल की क्या जरूरत है। यानि, किसानों को ऑनलाइन सिस्टम के नाम गुमराह किया जा रहा है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा केंद्र सरकार की सिफारिश पर हरियाणा सरकार ने 2018-19 में शुरू किया था। जब यह शुरू हुआ तो अनेक तरह की दिक्कतें थीं। भारी भरकम रुकावटें इसमें आ रही थीं। सरकार ने तब गलती यह भी की कि पैरलल सिस्टम बंद नहीं किया। इसमें बहुत संघर्ष के साथ किसान को अपनी फसल बेचनी पड़ी। किसानों को पेमेंट्स में भी दिक्कत आई। किसानों ने मांग की कि इस डिजीटलीकरण के सिस्टम को वापस ले लिया जाए। परंतु सरकार इसमें सुधार की कोशिश में सफल नहीं हो पाई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा की सर्विस कमजोर हैं। इंटरनेट सेवा मजबूत करने की जरूरत थी। पूरी सूची आज तक मेरी फसल मेरा ब्यौरा में नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है जबकि इसमें ऐसा नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि पोर्टल पर सीमित समय क्यों दिया जाता है। उस पर पटवारी या नंबरदार की तसदीक क्यों आवश्यक है। कई कई गांवों में एक एक पटवारी है, वे समय पर उपलब्ध नहीं हो पाते जिसकी वजह से किसान को मारे-मारे घूमना पड़ता है। ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर भी इसी तरह तकनीकी दिक्कतें आती हैं। कांग्रेस नेत्री ने कहा कि फार्म भरकर संबंधित पटवारी व अधिकारियों से तसदीक करवाकर जमा करवाना पड़ता है। यह प्रक्रिया कतई नहीं होनी चाहिए क्योंकि किसान अपनी वैरिफिकेशन स्वयं कर देता है। उन्होंने मांग की कि सरकार पोर्टल की पटरी से उतरकर किसान की जरूरत के हिसाब से काम करे ताकि उन्हें किसी प्रकार की समस्या से दो चार न होना पड़े।