ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट द्वारा एएसआई से वैज्ञानिक सर्वे कराने की इजाजत मिलने के बाद अयोध्या के साधू-संतों में उत्साह दिखाई दिया. वजू खाने को छोड़कर ज्ञानवापी के संपूर्ण परिसर में अब एएसआई अपनी सर्वे रिपोर्ट के जरिए किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकेगी. इसीलिए अयोध्या के संत कह रहे हैं लंबे समय की इंतजार के बाद इस तरह का फैसला आया है. यहां तक कि उन्होंने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि अयोध्या तो झांकी है काशी में तैयारी है मथुरा की बारी है.
इस फैसले पर हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि सावन का महीना चल रहा है. देश में बम बम चल रहा है काशी में बम बम बम होने जा रहा है. आप देखिए जिस प्रकार से कोर्ट ने आदेश दिया कोर्ट का में सम्मान करता हूं शुरू से यह लोग कह रहे थे. उस मंदिर परिसर को मैं मस्जिद नहीं कहता हूं. वह मंदिर परिसर है ऊपर के आकार स्ट्रक्चर को चेंज कर दिया जो हमारे भोलेनाथ बाबा का शिवलिंग है. उसे कह दिया वजुखाना वजू खाना बना दिया कितने यह लोग क्रूर हैं कि हम जिस का सम्मान करते हैं. एक तरफ हिंदू मुस्लिम एकता की बात होती है गंगा जमुनी तहजीब की बात होती है. आज कोर्ट ने आदेश दिया कि कार्बन डेटिंग हो इसकी अनुमति दे दिया. हम लोगों के अंदर अपार खुशी है. उत्साह है इसके लिए मंगल कामना और अयोध्या तो झांकी है काशी में तैयारी है मथुरा की बारी है.
इसके साथ ही अयोध्या के संत दिवकराचार्य ने कहा कि 31 साल पुराना केस और 335 सालों के लंबे इंतजार के बाद आज ज्ञानवापी परिसर को लेकर वाराणसी जिला जज डॉ अजय कृष्ण की अदालत ने सनातनी हिंदुओं की आस्था का सम्मान करते हुए जिस प्रकार वजू खाने को छोड़कर बैरकेटिंग वाले क्षेत्रों का रडार तकनीकी सर्वे कराने के लिए हिंदुओं के आवेदन को स्वीकृति दी है. निश्चित ही यह हिंदुओं के जीत के रूप में यह बहुत बड़ा फैसला सिद्ध होगा. मुस्लिम पक्षकारों ने भारतीय पुरातत्व के सर्वेक्षण पर जिस तरह विरोध जताया है उससे लगता है कि बहुत जल्दी बहुत लंबे समय का अंत होगा ज्ञानवापी मंदिर में बहुत जल्द सत्यम शिवम सुंदरम गूंज रहा होगा.