वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर के एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वक्षण) सर्वे की मंदिर पक्ष की मांग पर शुक्रवार को जिला अदालत ने फैसला सुनाया। इसे लेकर सुबह से ही कचहरी परिसर में चर्चाएं शुरू हो गई थीं।
शाम 4:10 बजे जैसे ही अदालत का आदेश आया,
पूरा कचहरी परिसर में हर हर महादेव का उद्घोष से गूंज उठा। इससे पहले सुबह से ही कचहरी, ज्ञानवापी परिसर और श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिक्षेत्र में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। सुरक्षा दस्ता चक्रमण करा रहा था। हर आने-जाने वालों पर उनकी सतर्क निगाहें थीं।
ज्ञानवापी प्रकरण में शुक्रवार को कोर्ट की ओर एएसआई सर्वे का आदेश जारी होते ही सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गईं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर और आस-पास के इलाके में सुरक्षाकर्मी पहले से ज्यादा अलर्ट नजर आए। पुलिस और आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) के जवानों ने पैदल मार्च कर लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया। हालांकि पुलिस अधिकारी अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था किए जाने को लेकर इन्कार करते रहे। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालु प्रतिदिन की भांति दर्शन के लिए उमड़े थे। हालांकि शाम को कोर्ट का आदेश आते ही पुलिसकर्मी सतर्क हो गए। पुलिसकर्मियों की बढ़ी हुई संख्या और अतिरिक्त सतर्कता बता रही थी कि कुछ विशेष है।
कड़ी सुरक्षा के बीच आया फैसला
चौक थाना क्षेत्र में चौक, दालमंडी, हड़हासराय, नईसड़क, गिरजाघर से आगे बड़े रामपुरा के रास्ते गश्त करते पुलिस व आरएएफ के जवान मदनपुरा होते हुए गोदौलिया तक गए। इस पैदल मार्च को ज्ञानवापी प्रकरण में आए कोर्ट के आदेश से जोड़कर देखा जा रहा है। दशाश्वमेध एसीपी अवधेश पांडेय व चौक थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्रा समेत पुलिसकर्मी रूट मार्च करते रहे। पुलिस उपायुक्त आरएस गौतम भी जगह-जगह जाकर हालात पर नजर रख रहे थे। एसीपी सुरक्षा अजय श्रीवास्तव ने बताया कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पहले से हैं।
कार्बन डेटिंग से पता लगाई जाती है आयु
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की जिम्मेदारी अदालत ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) को दी है। एएसआई के पूर्व संयुक्त महानिदेशक डा. बीआर मणि का कहना है कि वैज्ञानिक विधि से ज्ञानवापी परिसर की जांच में पर्याप्त साक्ष्य मिल सकते हैं। डा. मणि के नेतृत्व में ही अयोध्या में राम मंदिर के नीचे खोदाई कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने पर्याप्त साक्ष्य जुटाए थे। इन साक्ष्यों ने मुकदमे की दिशा बदल दी थी और अदालत का फैसला मंदिर के पक्ष में आया।
जानकारी जुटाने के दो तरीके प्रत्यक्ष और परोक्ष अमेरिका के न्यूयॉर्क से फोन पर दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि किसी भी स्थान की जानकारी जुटाने का दो तरीके होते हैं-प्रत्यक्ष व परोक्ष। प्रत्यक्ष तरीके में आसपास का क्षेत्र की खोदाई करके देखा जा सकता है। वहीं परोक्ष तरीके में स्थान की खोदाई नहीं करनी होती है। किसी वस्तु की बनावट के आधार पर इतिहासकार, पुरातत्ववेत्ता उसकी आयु का निर्धारण कर सकते हैं। कई चीजों की आयु कार्बन डेटिंग से पता लगाई जाती है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वह पदार्थ कार्बन उत्सर्जन करता हो।
ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार भी बेहतर तकनीक
जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) भी एक जानकारी जुटाने की बेहतर तकनीक है। इसमें बिना खोदाई के पता चल सकता है कि नीचे क्या है? इस तकनीक से काफी गहराई तक जांच कर पता लगाया जा सकता है कि नीचे क्या है? अब तो जीपीआर से 50 मीटर गहराई तक जांच की जा सकती है। जांच की इस तकनीक में नीचे किस आकृति की वस्तु मौजूद है, इसका सटीक आकलन किया जाता है। राम मंदिर के मामले में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था।
लोगों ने दी ये प्रतिक्रिया
बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद हमारे साथ है। हम धर्म और सत्य की लड़ाई लड़ रहे हैं। मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन के साथ ही बाबा के दर्शन की इच्छा जरूर पूरी होगी। अदालत के आदेश से काफी बल मिला है। लक्ष्मी देवी, सूरजकुंड लक्सा
अदालत का यह आदेश सिर्फ हमारे लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए बहुत बड़ी जीत है। इस फैसले हमारा दावा मजबूत हुआ है। ऐसे प्रत्येक आदेश से ज्ञानवापी पर हमारा दावा मजबूत हो रहा है। इस मुकदमे में हमारी जीत अवश्य होगी। सीता साहू, सराय गोवर्धन, चेतगंज
पूरे ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे के अदालत के आदेश से सिद्ध हो गया कि हमारा दावा सही है। इससे ज्ञानवापी का सच पूरे देश के सामने आएगा और मिलने वाले साक्ष्य मुकदमे को दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। रेखा पाठक, हनुमान फाटक
मंदिर पक्ष के पक्ष में आए अदालत के इस आदेश से आज पूरा देश खुश है। हमारे साथ-साथ यह 100 करोड़ हिंदुओं की भी जीत है। मां शृंगार गौरी के साथ ज्ञानवापी के लिए हमारा संघर्ष पूरे हिंदू समाज के लिए है।