मणिपुर में हिंसा की आग अभी ठंडी भी नहीं पड़ी कि सोशल मीडिया पर दो कुकी समुदाय की आदिवासी महिलाओं को नग्न घुमाने का वीडियो वायरल हो रहा है। इस पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी हैं।
ये वायरल वीडियो 4 मई का बताया जा रहा है।
मणिपुर की राजधानी इंफाल से 35 किलोमीटर दूर के कंगपोकपी जिले का है। वीडियो के सामने आने के बाद कार्रवाई की मांग की जा रही है। मामले में पुलिस का कहना है कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा, एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
वहीं, इस मामले में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा कि मणिपुर से आ रही महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। महिलाओं के साथ घटी इस भयावह हिंसा की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। समाज में हिंसा का सबसे ज्यादा दंश महिलाओं और बच्चों को झेलना पड़ता है। हम सभी को मणिपुर में शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हिंसा की एकस्वर में निंदा करनी पड़ेगी। केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री जी आखिर मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर आंख मूंद कर क्यों बैठे हैं? क्या इस तरह की तस्वीरें और हिंसक घटनाएं उन्हें विचलित नहीं करतीं?
इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर पर पीएम नरेंद्र मोदी की चुप्पी अराजकता पैदा कर रही है। भारत चुप नहीं रहेगा जब तक कि आइडिया ऑफ इंडिया पर हमला होगा। हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं। शांति ही आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता है।
वहीं, त्रिपुरा पार्टी मोथा के अध्यक्ष प्रद्योत बिक्रम देब बर्मा ने कहा कि ये मामला परेशान करने वाला है। भीड़ महिलाओं को नग्न अवस्था में लेकर जा रहे हैं, नफरत मणिपुर में जीत गई है।
मणिपुर में आए इस वीडियो पर शिवसेना यूबीटी की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अभी-अभी मणिपुर में एक महिला को नग्न घुमाने का विचलित करने वाला दृश्य देखा। जारी हिंसा और जातीयता आधारित अपमान पर ये चुप्पी बिल्कुल शर्मनाक है। पीएम ने नहीं बोला, क्या डब्ल्यूसीडी मंत्री करेंगे?
आखिर क्या है मणिपुर हिंसा?
बता दें कि मणिपुर में 3 मई से दो आदिवासी समुदाओं मैतेई और कुकी के बीच जातीय झड़प हो गई। मणिपुर में आदिवासियों को लेकर कुछ खास कानून हैं, जिसके तहत वे पहाड़ी इलाकों में रह सकते हैं। वहीं, मैतई समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा न मिलने के कारण वो पहाड़ी इलाकों में नहीं बस सकते हैं। जिसके लिए मैतई समाज खुद को अनुसूचित जाति का दर्जा हासिल करवाने की मांग कर रही है।