नई दिल्ली : अगस्ता वेस्टलैंड डील घोटाले के बाद अब कांग्रेसनीत यूपीए सरकार एक और बड़े घोटाले में फंसती दिखाई दे रही है। सूत्रों के अनुसार 2010 में यूपीए सरकार ने अचानक नियमों में बदलाव कर इटली की एक कंपनी को भारतीय नौसेना के लिए दो टैंकर खरीदने का ऑर्डर दिया था।
भारतीय नौसेना के जहाजी बेडे़ में इटली से खरीदे गए इन्हीं दो टैंकरों की खरीद में घोटाला की सुगबुगाहट होने लगी है। इटली ने भारतीय नौसेना को दे टैंकरों की आपूर्ति की थी। कैग ने 2010 में अपनी रिपोर्ट में इस सौदे पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि इसमें खराब गुणवत्ता वाले स्टील का इस्तेमाल किया गया था। यह मामला तब उजागर हुआ जब रूस से विमानवाहक पोत विक्रमादित्य के साथ वापस आते समय एक टैंकर में दरार आ ई। कैग ने बेड़े में शामिल टैंकरों की खरीद में जहाज बनाने वाली इतालवी कंपनी फिनकैनतिएरी को अनुचित फायदा पहुंचाने का मुद्दा उठाया था। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने इस मामले में किसी भी प्रकार की जांच से इंकार किया।
मंत्रालय ने कहा, ‘रक्षा मंत्रालय ने तथाकथित खराब गुणवत्ता के स्टील वाले नौसैन्य टैंकरों की कोई जांच शुरू नहीं की है।’ इस बीच नौसेना ने कहा है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सभी जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई थीं। टैंकर में दरारें पड़ने के संबंध में सूत्रों ने बताया कि इसके कारणों का पता लगाने के लिए जांच बोर्ड के आदेश दिए गए थे और जांच में टैंकर में प्रयुक्त किसी सामग्री में खराबी नहीं पाई गई। सूत्रों के अनुसार, टैंकर अच्छी तरह काम कर रहे हैं और फिलहाल फारस की खाड़ी में तैनात हैं।
इसलिए गहरा रहा शक
2006 में भारत सरकार ने टैंकरों के सौदे के लिए टेंडर जारी किया था। जिसके बाद रूस, कोरिया तथा इटली की कंपनी ने सौदे के लिए टेंडर भरा। सिर्फ रूस की कंपनी हथियारों में इस्तेमाल होने वाले स्टील से टैंकर निर्माण के लिए तैयार थी। जबकि अचानक नियमों को बदलाव कर 2009 में इटली की कंपनी को टेंडर जारी कर दिया गया।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी किसी भी प्रकार की जांच के लिए तैयार है।