बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के कॉलेज परिसर में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज की नौ छात्राओं की याचिका को खारिज कर दिया। दरअसल, कॉलेज ने अपने एक फैसले में कॉलेज परिसर में नकाब, बुर्का और हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था।
कॉलेज के फैसले को मुस्लिम छात्राओं ने दिया था चुनौती
कॉलेज के फैसले को चुनौती देते हुए नौ मुस्लिम छात्राओं ने इस महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट का रूख किया था। छात्राओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम उक्त निर्णय में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए रिट याचिका खारिज की जाती है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों में नियमों का पालन सर्वोपरि है।
आचार्य कॉलेज का मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पर पाबन्दी लगाना और कोर्ट का उसपर खामोश रहना सरासर मुस्लिम धर्म में हस्तक्षेप है।
देश में सभी को अपने धर्म पर चलने की इजाज़त हमारा संविधान देता है। हमें उम्मीद है की सुप्रीम कोर्ट स्कूल / कॉलेज में लड़कियों को हिजाब पहने की इजाज़त… pic.twitter.com/KkWr5utkBc
— Abu Asim Azmi (@abuasimazmi) June 26, 2024
क्लास में हिजाब पहनने की इजाजत होनी चाहिए- अबू आजमी
हाईकोर्ट के फैसले पर समाजवादी पार्टी नेता अबू आजमी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि क्लास में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की इजाजत होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने अगर इसे नकारा है तो हमें लगता कि सुप्रीम कोर्ट से हमें अपने धर्म पर चलने की जो इजाजत है, उसको देखते हुए हमें सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलनी चाहिए।
छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हिजाब से बैन हटाने की मांग की थी
बता दें कि मुंबई के चेंबूर में स्थित आचार्य कॉलेज में हिजाब बैन के खिलाफ नौ छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हिजाब से बैन हटाने की मांग की थी। छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन पर धर्म के आधार पर पक्षपात करने के आरोप भी लगाए थे। कॉलेज की ओर से लागू ड्रेस कोड के तहत छात्राओं को कैंपस में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी गई। छात्राओं का दावा है कि नया ड्रेस कोड गोपनीयता, गरिमा और धार्मिक स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।