पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अयोध्या में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से दूरी बना लेने के बाद सोमवार के लिए पहले से ही पूरे दिन की रणनाीति तैयार कर ली थी।
सोमवार को उन्होंने बंगाल के लोगों की भावना को समझते हुए अपने सियासी दिनचर्या की शुरुआत के लिए कोलकाता के कालीघाट मंदिर को चुना। इस प्रसिद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना और दर्शन के बाद उन्होंने सियासत के शतरंज की तरह अपना पूरा कार्यक्रम तय किया है।
प्राण प्रतिष्ठा के दिन ममता का फुलप्रूफ ‘सियासी’ प्लान मंदिर भ्रमण के बाद सीएम ममता कोलकाता शहर के प्रसिद्ध गुरुद्वाराओं, नामी मस्जिदों और प्रख्यात चर्चों में भी पहुंचने की पूरी प्लानिंग की है। कार्यक्रम इस तरह से तैयार किया गया कि जिसे संदेश देना है, उस तक ममता की भावना सटीक तरीके से पहुंच सके।
सर्व धर्म स्थलों में जाने के बाद सर्वधर्म सद्भावना रैली
सोमवार को उन्होंने कोलकाता में एक सर्वधर्म सद्भावना रैली आयोजित किया है,जिसे सम्प्रीति रैली का नाम दिया गया है। इस रैली में सभी धर्मों के प्रमुख लोग दिखाई पड़ें, इसका खास ख्याल रखा गया है। सम्प्रीति रैली कोलकाता के हाजरा क्रॉसिंग से शुरू गोकर हाजरा रोड और सैयद आमिर अली एवेन्यू से गुजरते हुए पार्क सर्कस मैदान तक पहुंचनी है। इस तरह से टीएमसी सुप्रीमो को चुनावी वर्ष में किस-किस वर्ग को साधना है, यह पूरा प्लान तैयार है।
सभी समुदायों और वर्गों को साधने की कोशिश
इस तरह से टीएमसी सुप्रीमो ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को पॉलिटिकल इवेंट होने का आरोप लगाते हुए, खुद को सभी धर्मो के प्रति समान भावना रखने वाली नेता और पार्टी को सभी वर्गों के लिए बराबर की सोच रखने वाले राजनीतिक दल साबित करने की कोशिश की है। ममता ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं स पूरे बंगाल में भी इसी तरह की सर्वधर्म सद्भावना रैली आयोजित करने का आह्वान किया है।
भाजपा की रणनीति से अलग दिखाने की कोशिश
सच्चाई ये है कि पूरे देश की तरह बंगाल में भी राम मंदिर से जुड़े कई तरह के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। मंदिरों में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन हो रहे हैं। ऐसे में लीक से अलग रहकर टीएमसी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि पार्टी हिंदुओं के साथ-साथ सभी धर्मों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है।