Road on moon: हाल ही में भारत ने चांद पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग करवाई थी। ये मिशन पूरी तरह से सफल रहा। भारत के अलावा दुनिया के कई बड़े देशों की नजर चांद पर है। कई तो वहां पर कॉलोनी और सड़कें बनाने की प्लानिंग कर रहे।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने चंद्रमा पर सड़क योग्य सतह बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है। इस प्रोजेक्ट को PAVER नाम से जाना जाता है। माना जा रहा कि इससे चांद पर इंसानों को बसाने की दिशा में नई क्रांति आएगी।
इस पहल का उद्देश्य एक शक्तिशाली लेजर का उपयोग करके चंद्रमा की धूल को पिघलाकर कांच जैसी ठोस सतह में तब्दील करना है, ताकि सड़क और लैंडिंग पैड का निर्माण हो सके।
चांद की धूल अति सूक्ष्म, रगड़नेवाली और चिपचिपी होती है। अमेरिका ने जब चांद पर अपोलो मिशन भेजा था, तो इस धूल ने उस मिशन में काफी ज्यादा बाधा पहुंचाई थी। इससे अंतरिक्षयात्रियों के स्पेसशूट को नुकसान पहुंचा, साथ ही अपोलो 17 मून रोवर ने अपना पिछला फेंडर खो दिया। इसी तरह सोवियत संघ का लूनोखोद-2 रोवर अत्यधिक गर्म होने के कारण नष्ट हो गया, जब उसका रेडिएटर धूल से ढक गया।
जर्मनी के BAM इंस्टीट्यूट ऑफ मैटेरियल्स रिसर्च एंड टेस्टिंग, आलेन यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रिया में LIQUIFER सिस्टम्स ग्रुप और जर्मनी के क्लॉस्टल यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। टीम ने नकली चंद्रमा की धूल को पिघलाकर एक ठोस सतह बनाने के लिए 12 किलोवाट कार्बन डाइऑक्साइड लेजर का उपयोग किया, जिससे चंद्रमा पर पक्की सतहों के निर्माण के लिए एक संभावित समाधान तैयार हुआ।
चंद्र मिट्टी (चांद की मिट्टी) के बड़े क्षेत्रों में ठोस सतह बनाने के लिए इन आकृतियों को आपस में जोड़ा जा सकता है, जो संभावित रूप से सड़कों या लैंडिंग पैड के रूप में काम कर सकते हैं। टीम का अनुमान है कि दो सेंटीमीटर सघन सामग्री से बने 100 वर्ग मीटर के लैंडिंग पैड का निर्माण 115 दिनों में किया जा सकता है।