Girls who don’t marry are happier in life- जैसे ही घर की बेटियां 18 साल पार होती हैं, परिवार वालों को उसकी शादी की चिंता सताने लग जाती है। वो अपनी लाइफ में कितनी ही कामयाब क्यों ना हो, लेकिन जबतक उनकी शादी ना हो जाए सब बेकार है। परिवार और समाज का कहना है कि अगर वक्त पर शादी ना हो तो लड़कियों की जिंदगी खराब हो जाती है। उनका जिंदगी काटना मुश्किल हो जाता है। लोग कहते हैं कि शादी के बाद बेटी तुम अपने पति के साथ खुश रहोगी,लेकिन ऐसा होता नहीं हैं। लड़की की पसंद ना होते हुए भी घर वालों की मर्जी से शादी करते हैं, फिर वो पूरी जिंदगी बस झेलती रहती है, इससे किसी को फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन फर्क सिर्फ उस महिला को पड़ता है जो अपने पति के बुरे व्यवहार की पीड़ित होती है। परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी उसे किसी तरह का कदम उठाने को मना करता है। लेकिन लड़कियों की शादी को लेकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की स्टडी तो कुछ और ही कहानी बंया करती हैं।
शादी का फायदा मिलता है पुरूषों को
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (London School Of Economics) में बिहेवियरल साइंस के प्रोफेसर और ‘हैप्पी एवर आफ्टर’ बुक की राइटर पॉल डोलन ने कहा कि शादी करने के बाद सबसे ज्यादा फायदा और सुकून पुरुषों को मिलता है, जबकि महिलाएं शादी से ज्यादा खुश रहती हैं।
अमेरिकन टाइम यूज़ सर्वे की रिपोर्ट
इसके साथ ही अमेरिकन टाइम यूज़ सर्वे (ATUS) के द्वारा भी एक सर्वे इस संबंध में किया गया। जिसमें शादीशुदा, गैरशादीशुदा, डिवोर्सी, विधवा महिलाओं के आराम और तकलीफ के लेवल पर सर्वे करने पर ये बात सामने आई की अविवाहित महिलाएं, विवाहित महिलाओं की तुलना में कम दुखी थीं। वहीं, शादीशुदा महिलाओं के पास विलासिता से संबंधित सबकुछ होने के वाबजूद वो खुश नहीं थीं। उनकी तकलीफें पति और परिवार से जुड़ी थी।
महिलाओं की प्रायोरिटी में हुआ बदलाव
ऐसे सर्वे से साफ जाहिर होता है कि आज के वक्त में महिलाओं की प्रायोरिटी में बदलाव आ रहा है। वो अकेले रहना चाहती है। खुद इंपावर होकर अपने लिए काम करना चाहती हैं। दूसरे पर डिपेंड नहीं रहना चाहती हैं। वो पति या फिर ससुराल की चिकचिक से दूर रहना पसंद कर रही हैं। वो अपने पैसों से वो सबकुछ करना चाहती हैं जो उनका मन होता है।