पिछले एक दशक में सेना अब नई असॉल्ट राइफलें, शार्ट-क्वार्टर बैटल कार्बाइन और लाइट मशीन गन के लिए अपने लम्बे रोडमैप के साथ मजबूती से आगे बढ़ रही है। पैदल सैनिकों के लिए इन बुनियादी हथियारों की ज़रूरत है, जिन्हें कभी-कभी हॉवित्जर, टैंक, मिसाइल, हेलीकॉप्टर और इसी तरह की खरीद के वक्त भुला दिया जाता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 12 लाख की स्ट्रॉन्ग फोर्स में 380 से अधिक पैदल सेना और 63 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन को राउंड 9.5 लाख असॉल्ट राइफल, 4.6 लाख सीक्यूबी कार्बाइन और 57,000 से अधिक हल्के मशीन हथियारों (एलएमजी) की ज़रूरत है। इसको ध्यान में रखते हुए विदेश से कुछ इमरजेंसी खरीद चल रही है।
कुछ मेक इन इंडिया से मिलेंगे हथियार
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पैदल सैनिकों को कुछ हथियार विदेशों से जबकि कुछ मेक इन इंडिया के ज़रिए मिलेंगे। चीन से जारी टकराव के बीच अमेरिका से 72,000 एसआईजी सॉर असॉल्ट राइफल्स का दूसरा लॉट दिसंबर तक मिलने के लिए तैयार है. सेना ने पहले से ही 72,400 SiG Sauer राइफलें शामिल कर ली हैं, जो कि 647 करोड़ रुपये की डील का हिस्सा हैं।
ये हमारे सैनिकों की ज़रूरत
ये राइफल्स पैदल सैनिकों के लिए 500-मीटर की मारक क्षमता के साथ 7.62 × 51 मिमी कैलिबर की हैं। इसके साथ ही सेना ने रूसी सहयोग के साथ उत्तर प्रदेश में कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री पर सात लाख कलशनिकोव एके -203 राइफलों के निर्माण की तैयारी की है। एक अन्य अधिकारी के मुताबिक SiG Sauer और AK-203 राइफलें हमारे पैदल सैनिकों की ज़रूरतों को पूरा करती हैं।
राइफल प्रोटोटाइप की ज़रूरत नहीं
हमें ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) द्वारा विकसित 7.62×51 मिमी राइफल प्रोटोटाइप की ज़रूरत नहीं हैं। इसमें समय, गुणवत्ता और मूल्य निर्धारण मुद्दा है। 16,479 इजरायली नेगेव 7.62X51 मिमी एलएमजी की डिलीवरी 880 करोड़ रुपये के सौदे के तहत जनवरी से शुरू होगी। पांच विदेशी कंपनियों को बाकी एलएमजी के निर्माण के लिए पहले ही शॉर्टलिस्ट किया गया है। टेस्टिंग अगले साल की शुरुआत में शुरू होगी। भारत में 4.6 लाख CQB कार्बाइन के निर्माण के लिए RFP (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) को भी बाद के महीनों में जारी किया जा सकता है।