पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि अमृत सरोवर योजना के तहत प्रदेश में सैंकड़ों करोड़ का घोटाला हुआ है। जल संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना में हर स्तर पर गड़बड़झाला देखने को मिल रहा है। क्योंकि जमीन पर जो काम पूरे भी नहीं हुए, उनको रिकॉर्ड में पूरा दिखा दिया गया। योजना के तहत दलदल से लबालब तालाबों को भी रिकॉर्ड में अमृत सरोवर घोषित कर दिया गया।
हुड्डा ने कहा कि आरटीआई के जरिए जो जानकारी निकल कर सामने आई है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि इस योजना के नाम पर करोड़ों रुपए का खेल हुआ है। इस योजना के लिए जारी कुल बजट 25,390.96 लाख के मुकाबले अब तक करीब 29,331.81 लाख रुपए खर्च कर दिए गए यानी बजट से 3940.85 लाख रुपए अधिक खर्च किए गए। प्रदेश के हर जिले में जारी बजट के मुकाबले अधिक खर्च किया गया और सौंदर्यकरण का कोई भी काम किए बिना, तालाबों को अमृत सरोवर घोषित कर दिया गया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। संभावना है कि इसमें नीचे से ऊपर के स्तर के पदों पर बैठे लोगों की भूमिका हो सकती है। क्योंकि इतना बड़ा गड़बड़झाला बिना सरकार की मिलीभगत के नहीं हो सकता।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेक योजना और हरेक कार्य में घोटाले करना बीजेपी की आदत बन चुकी है। अमृत सरोवर योजना से पहले बीजेपी सरकार के दौरान प्रदेश में सरकारी एंबुलेंस घोटाला(सीएजी रिपोर्ट), दवाई खरीद घोटाला(सीएजी रिपोर्ट), मनरेगा घोटाला, FPO घोटाला, सहकारिता घोटाला, शराब घोटाला, जहरीली शराब घोटाला, CAG आबकारी घोटाला, HSSC भर्ती घोटाला, HPSC घोटाला, पेपर लीक घोटाला, कैश फॉर जॉब, डाडम खनन घोटाला, नूंह खनन घोटाला, यमुना खनन घोटाला, ग्वाल पहाड़ी घोटाला जैसे मामले सामने आ चुके हैं।
इतना ही नहीं इसी सरकार के दौरान प्रोपर्टी ID घोटाला, धान घोटाला, चावल घोटाला, बाजरा खरीद घोटाला, राशन घोटाला, सफाई फंड घोटाला, रोडवेज किलोमीटर स्कीम घोटाला, HTET घोटाला, छात्रवृति घोटाला, फसल बीमा योजना घोटाला, बिजली मीटर खरीद घोटाला, मेडिकल सामान ख़रीद घोटाला, शुगर मिल घोटाला, अमृत योजना घोटाला, सड़क निर्माण घोटाला, स्टेडियम निर्माण घोटाला, Family ID घोटाला, आयुष्मान योजना घोटाला, गुरुग्राम नगर निगम घोटाला, फरीदाबाद नगर निगम घोटाला इत्यादि इत्यादि अनगिनत घोटाले हुए हैं। लेकिन सरकार ने किसी भी घोटाले में निष्पक्ष जांच नहीं करवाई और ना ही उच्च स्तरीय कार्रवाई की।