राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जम्मू-कश्मीर में एक राष्ट्र, दो संविधान की नीति को समाप्त करने के केंद्र सरकार के ऐतिहासिक कदम पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसे देश के कानूनी और संवैधानिक ढांचे को एकीकृत करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। नड्डा के संबोधन ने जम्मू-कश्मीर को लेकर भाजपा सरकार द्वारा किए गए संवैधानिक सुधारों और उनके राष्ट्रीय एकता पर पड़ने वाले प्रभावों को रेखांकित किया।
जेपी नड्डा ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को खत्म करना एक राष्ट्र, एक संविधान की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह निर्णय देश की एकता और अखंडता को मजबूत करता है। जहां अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक समान कानूनी व्यवस्था लागू हो गई है।
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल को देश को एकजुट करने का काम सौंपा गया था और मुझे बहुत खुशी हुई कि लंबे समय के बाद मैंने कांग्रेस की ओर से भी सरदार पटेल का नाम सुना। बहुत दिनों के बाद मैंने कांग्रेस के लोगों को महापुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में बोलते हुए सुना। उन्होंने 562 रियासतों को एकजुट किया और जम्मू-कश्मीर को तत्कालीन प्रधानमंत्री के लिए छोड़ दिया।
संविधान के एकीकरण की दिशा में बड़ा कदम
जेपी नड्डा ने बहस के दौरान स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर में पहले लागू एक राष्ट्र, दो संविधान की स्थिति न सिर्फ जटिलताओं को बढ़ावा देती थी। बल्कि राष्ट्रीय एकता के सिद्धांत को भी कमजोर करती थी। भाजपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस नीति को समाप्त कर संविधान के एकीकरण की दिशा में बड़ा और साहसिक कदम उठाया है। जिससे अब जम्मू-कश्मीर में भी भारत का एक संविधान लागू है।
सरकार के तर्क और दृष्टिकोण
नड्डा ने संसद के ऊपरी सदन में सरकार के दृष्टिकोण को विस्तार से रखते हुए कहा कि यह निर्णय सिर्फ संवैधानिक बदलाव नहीं है। बल्कि यह देश के विकास, शांति और राष्ट्रीय एकता के लिए अत्यंत आवश्यक था। भाजपा का यह कदम न केवल कानूनी समानता को सुनिश्चित करता है। बल्कि एक राष्ट्र, एक संविधान के सिद्धांत को मजबूत करता है। जिससे देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार और समान कानून का लाभ मिलेगा।
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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक महत्व
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा मिला था। जो 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के फैसले के बाद समाप्त कर दिया गया। इस कदम को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच लंबी बहसें हुई। लेकिन भाजपा ने इसे राष्ट्र की एकता के लिए जरूरी बताया। जेपी नड्डा ने बहस के दौरान इस निर्णय को भारत के संवैधानिक इतिहास का मील का पत्थर करार दिया और कहा कि इससे समान कानूनी व्यवस्था लागू होने का रास्ता साफ हुआ। जेपी नड्डा के बयान ने राज्यसभा में संविधान की चर्चा के दौरान एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में एक राष्ट्र, दो संविधान की नीति को समाप्त कर राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के भाजपा सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया। यह निर्णय भारत के विधायी इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है। जो दर्शाता है कि देश में कानूनी समानता और संविधान के एकीकरण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
जेपी नड्डा का यह बयान भाजपा की एक राष्ट्र, एक संविधान की नीति पर जोर देने के साथ-साथ राष्ट्रीय अखंडता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।