लखनऊ : अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लखनऊ की विशेष अदालत ने 28 साल बाद फैसला सुनाया। फैसला पढ़ते हुए जज एस.के. यादव ने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और यह अचानक हुई थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ प्रबल साक्ष्य नहीं थे। जिसके कारण जज ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।
अयोध्या ढांचा विध्वंस पर जस्टिस एसके यादव 11.35 बजे फैसला पढ़ना शुरू किया। जिसमें उन्होंने सबसे पहले कहा कि बाबरी विध्वंस मामले की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और यह अचानक हुई थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ प्रबल साक्ष्य नहीं थे।
कोर्ट में पहुंचे 26 आरोपी
1992 में बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी के संस्थापक सदस्य लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मंत्री उमा भारती और कल्याण सिंह शामिल हैं। लेकिन चार हाई-प्रोफाइल आरोपियों में से कोई भी अदालत में उपस्थित नहीं हुआ। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और पूर्व मंत्री उमा भारती वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कोर्ट से जुड़े। आडवाणी (92) और जोशी (86) को स्वास्थ्य के आधार पर सुनवाई में छूट दी गई है। वहीं उमा भारती कोरोनो होने के कारण कोर्ट नहीं पहुंची, जबकि कुछ समय पहले कल्याण सिंह भी कोरोना का शिकार हुए थे, जो अभी भी क्वारंटीन में है।
इस मामले में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी हैं और 32 आरोपी बचे है। हालांकि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार और महंत नृत्य गोपाल को छोड़कर सभी 26 अभियुक्त कोर्ट पहुंचे है।
32 बरी हुए
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती , महंत नृत्य गोपाल दास, साध्वी ऋतम्भरा, चम्पत राय, विनय कटियार, राम विलास वेदांती, महंत धरम दास, पवन पांडेय, ब्रज भूषण शरण सिंह, साक्षी महाराज,सतीश प्रधान, आरएन श्रीवास्तव, तत्कालीन डीएम, जय भगवान गोयल, रामचंद्र खत्री , सुधीर कक्कड़, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, जयभान सिंह पवैया, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, लल्लू सिंह, वर्तमान सांसद, ओम प्रकाश पांडेय, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, विजय बहादुर सिंह, नवीन शुक्ला, आचार्य धर्मेंद्र, रामजी गुप्ता।
बता दें कि अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी के विवादित ढांचे को गिराए जाने के मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस मामले में कुल 49 आरोपी थे, जिनमें 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है। ऐसे में कोर्ट ने मामले में बाक़ी बचे सभी 32 मुख्य आरोपियों पर फ़ैसला सुनाया।