Maharashtra News: महाराष्ट्र में रविवार को भाजपा विधायक राहुल नार्वेकर ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार सहित कई प्रमुख नेताओं ने उनका समर्थन किया। भाजपा के राज्य अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल ने भी नार्वेकर के नामांकन को मजबूती दी। 9 दिसंबर को निर्धारित अध्यक्ष चुनाव से पहले यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति में नई दिशा तय करता है।
राहुल नार्वेकर का संकल्प
नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल नार्वेकर ने अपनी प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी भावनाएं साझा की। उन्होंने लिखा कि संविधान के साक्षी के रूप में कोलाबा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा मुझ पर दिखाए गए विश्वास को पूरा करने के लिए मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा। नार्वेकर के इस संदेश ने उनके कार्यकाल के प्रति समर्पण और जनता की सेवा के लिए उनकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाया।
प्रोटेम स्पीकर की भूमिका और शपथ ग्रहण समारोह
वरिष्ठ भाजपा विधायक कालिदास सुलोचना कोलंबकर ने शनिवार को प्रोटेम स्पीकर की भूमिका निभाते हुए 173 नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई। यह प्रक्रिया नई विधानसभा के गठन की दिशा में एक अहम कदम थी। हालांकि शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे द्वारा ईवीएम की वैधता को लेकर उठाए गए सवालों के कारण विपक्ष के 115 विधायक शपथ ग्रहण समारोह से अनुपस्थित रहे।
शिवसेना के बहिष्कार पर अजित पवार की आलोचना
शिवसेना (यूबीटी) के इस कदम की उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कड़ी आलोचना की। पवार ने कहा कि अगर विपक्ष को ईवीएम को लेकर कोई संदेह है तो उन्हें चुनाव आयोग या अदालत का सहारा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप सार्वजनिक मंचों पर लगाने का कोई औचित्य नहीं है।
विपक्ष के भीतर मतभेद
महागठबंधन (महा विकास अघाड़ी) के कुछ सदस्य विशेष रूप से समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी और रईस शेख, गठबंधन की व्यापक रणनीति से हटकर शपथ ग्रहण में शामिल हुए। यह कदम विपक्षी खेमे के भीतर मतभेद और जटिलताओं को उजागर करता है।
आगामी चुनाव और राजनीतिक दांव-पेंच
अध्यक्ष पद के लिए होने वाला चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी। राहुल नार्वेकर के नामांकन के साथ भाजपा ने यह संदेश दिया है कि वह राजनीतिक स्थिरता और सुदृढ़ता लाने के लिए प्रतिबद्ध है। विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया और उनकी रणनीति आने वाले दिनों में स्पष्ट होगी। महाराष्ट्र का राजनीतिक माहौल इन घटनाओं के साथ और अधिक जटिल होता जा रहा है। जहां एक ओर भाजपा ने अपने उम्मीदवार के लिए व्यापक समर्थन जुटाया है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी खेमे में फूट और आंतरिक असहमति स्पष्ट हो रही है। 9 दिसंबर को होने वाले अध्यक्ष चुनाव के नतीजे महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा को तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।