Karnataka Politics: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के बने डेढ़ साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन वहां पार्टी के दो बड़े नेताओं मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को लेकर हुई कथित डील को लेकर बीच-बीच में अटकलबाजियां शुरू हो जाती हैं। ताजा अटकलें खुद शिवकुमार के एक बयान के बाद से लगनी शुरू हुई हैं, जिसका सिद्दारमैया ने दो टूक खंडन करने की कोशिश की है। सवाल है कि कांग्रेस नेतृत्व की ओर से इन अटकलबाजियों पर विराम लगाने की कोशिश क्यों नहीं होती है।
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बुधवार को इस बात से साफ इनकार किया है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के साथ कोई सत्ता-हस्तांतरण डील हो रखी है। सिद्दारमैया ने कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल पूरा होने से पहले पद छोड़ने की संभावनाओं को एक तरह खारिज करने की भी कोशिश की है।
डीके शिवकुमार ने न्यूज चैनल से कही डील होने की बात
दरअसल, शिवकुमार ने मंगलवार को एक न्यूज चैनल से बातचीत में सत्ता हस्तांतरण डील को लेकर बात की थी, जिसके मुताबिक वह सिद्दारमैया की जगह मुख्यमंत्री का पद हासिल करेंगे। उन्होंने कहा था कि सीएम का पद अभी खाली नहीं है, लेकिन एक समझौता हुआ था, जिसकी डिटेल अभी साझा नहीं की जा सकती है।
सिद्दारमैया ने किया किसी भी डील का खंडन
लेकिन, बुधवार को मांड्या में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया न कहा है कि ऐसा कोई सत्ता हस्तांतरण वाला समझौता नहीं हुआ था और पार्टी हाई कमान का फैसला ही फाइनल था।
सरकार बनने के साथ ही शुरू हो गई थी अटकलें
दरअसल, पिछले साल मई में जब कांग्रेस पार्टी कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई थी तो मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी के अंदर काफी घमासान मचा हुआ था। विधायक दल का नेता तय होने में काफी देरी के बाद जब कांग्रेस की ओर से सिद्दारमैया का नाम आगे करने का रास्ता साफ हुआ तो इस तरह की अटकलें लगनी शुरू हुईं कि ढाई साल बाद शिवकुमार, सिद्दारमैया की जगह लेंगे। लेकिन, कभी भी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।
कांग्रेस नेतृत्व की ओर से इस विवाद को खत्म क्यों नहीं किया जाता?
कर्नाटक चुनाव में शिवकुमार की बड़ी भूमिका रही थी और उनके सीएम बनने की इच्छा भी जग जाहिर है। इसलिए पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम भी बनवाया और उनके पास प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी रहने दी गई। तब से यह मामला बीच-बीच में उठता है, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व की ओर से इन अटकलों पर हमेशा के लिए विराम लगाने की कोशिशें नहीं दिखी हैं।