Karnataka Politics: कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में संभावित बदलावों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। गृह मंत्री जी परमेश्वरा ने कहा है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल के साथ-साथ नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति पर भी चर्चा चल रही है। इस पर फैसला पार्टी नेतृत्व को लेना है। यह चर्चा डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के नजरिए से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार चार साल से अधिक समय से कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) का भी नेतृत्व कर रहे हैं। डिप्टी सीएम बनने के बाद भी कथित तौर पर उनसे यह पद इसीलिए नहीं लिया गया, क्योंकि मुख्यमंत्री बनने की उनकी चाहत पार्टी पूरी नहीं कर सकी थी।
परमेश्वरा ने इन चर्चाओं के नतीजों के बारे में अनिश्चितता व्यक्त करते हुए कहा,’इसके साथ ही (मंत्रिमंडल फेरबदल) हम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने के बारे में भी बातचीत सुन रहे हैं। इसलिए,इन दो बातों पर,सीएम और अध्यक्ष हाईकमान के परामर्श से क्या निर्णय लेंगे, मुझे नहीं पता।’ अभी शिवकुमार का सरकार में भी दबदबा है और संगठन तो उनके कंट्रोल में है ही। ऐसे में अगर उनसे पार्टी अध्यक्ष का पद ले लिया जाता है तो यह प्रदेश की उनकी आगे की राजनीति के लिए बहुत ही बड़ा कदम साबित हो सकता है।
केपीसीसी अध्यक्ष को बदलने की संभावना पिछले कुछ समय से चल रही है। परमेश्वरा ने खुद भी ऐसी चर्चाएं सुनी हैं,लेकिन वे इस बारे में अनिश्चित हैं कि क्या आगे कोई प्रगति होगी। उन्होंने दोहराया कि इस मामले पर फैसला लेना आखिरकार हाईकमान पर निर्भर है।
स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कुछ हलकों में इसी तरह की चर्चाओं को स्वीकार किया। उन्होंने अध्यक्ष के रूप में शिवकुमार के प्रयासों की प्रशंसा की,लेकिन कहा कि उन्हें यह पद संभाले हुए पांच साल से ज़्यादा हो गए हैं। राव ने कहा,’शिवकुमार ने अध्यक्ष के रूप में अच्छा काम किया है और पार्टी को खड़ा किया है और उसे सत्ता में लाया है और दिन-रात काम कर रहे हैं। इस बारे में कोई दो राय नहीं है।’ लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही हैं। मंत्री पद के इच्छुक कुछ विधायकों ने खुले तौर पर मंत्रिमंडल में शामिल होने की इच्छा जताई है। केपीसीसी अध्यक्ष पद के दावेदार माने जा रहे पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जरकीहोली ने इसकी चुनौतियों पर टिप्पणी की:’पार्टी अध्यक्ष पद कोई आसान काम नहीं है। यह एक कठिन काम है और इसे संभालना एक जिम्मेदारी है।’
परमेश्वरा ने किसी भी फेरबदल के दौरान अपने पोर्टफोलियो में संभावित बदलाव के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले हाईकमान के हाथ में होते हैं और उन्होंने अपने 35 साल के करियर में उनकी ओर से सौंपी गई जिम्मेदारियों को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।