नई दिल्ली : पिछले साल स्विस बैंक में भारतीयों के द्वारा जमा की जाने वाली रकम में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। इस आंकड़े के सामने आते ही इस मुद्दे पर बयानबाजी शुरू हो गई है। विपक्ष केंद्र सरकार पर इसके लिए हमला बोल रहा है। खुद भाजपा के सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने इस मामले में सवाल उठाते हुए वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को घेरा है। उन्होंने इसके लिए हसमुख अढ़िया को आढ़े हाथों लेते हुए उन्हें इसके लिए जिम्मेदार बताया है। अब सरकार की ओर से इस मामले में पहली प्रतिक्रिया आई है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस मामले में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि इस मामले में भारत और स्विटजरलैंड के बीच एक संधि हुई है। ये डेटा हमें जनवरी 2018 से वित्तीय वर्ष के अंत तक का डेटा सामने आया है। तो इसे हम पूरी तरह ब्लैक मनी या अवैध ट्रांजेक्शन कैसे कह सकते हैं।
गौरतलब है भारत और स्विटजरलैंड के बीच बने ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फॉर्मेशन के फ्रेमवर्क के तहत स्विस नेशनल बैंक द्वारा आंकड़े जारी किए गए हैं। भारत और अन्य देशों द्वारा स्विस बैंक में काला धन जमा कराने वाले लोगों के खिलाफ सबूत देने के बाद स्विटजरलैंड ने अपने ग्राहकों की जानकारी साझा करने के लिए हामी भर दी थी। नए समझौते के तहत स्विटजरलैंड भारत द्वारा काले धन के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में मदद कर रहा है।