हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के व्यापक भाषण की सराहना की, जिसमें सरकार की किसानों, ग्रामीण विकास और कृषि समृद्धि के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया गया।
मुख्यमंत्री द्वारा खरीफ फसल के खर्चों के लिए किसानों को ₹300 करोड़ का बोनस देने की घोषणा पर आभार व्यक्त करते हुए श्री राणा ने इसे किसानों पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय बताया। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री की पहलों में किसानों की समस्याओं को समझने और उन्हें दूर करने के प्रति सरकार की गहरी समझ और सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। ₹300 करोड़ का बोनस, अगस्त में ₹496.89 करोड़ की पूर्व में जारी की गई राशि और आगामी ₹550 करोड़, यह हमारे कृषि समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता को दिखाता है।”
सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए श्री राणा ने शासन में पारदर्शिता और दक्षता पर मुख्यमंत्री के ठोस कदमों की सराहना की। उन्होंने उर्वरकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए ऐतिहासिक कदमों की भी चर्चा की, जिनमें पिछले साल की तुलना में 11.2 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 15,000 मीट्रिक टन अतिरिक्त डीएपी का आवंटन शामिल है।
उन्होंने कहा, “श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में हरियाणा ने कृषि में अभूतपूर्व प्रगति की है। पराली जलाने में 45% की कमी से लेकर प्राकृतिक खेती योजना लागू करने तक, हम स्थायी और समृद्ध कृषि पद्धतियों के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री के एक विकसित हरियाणा के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए, श्री राणा ने कहा, “पिछले एक दशक में रखी गई विकास की नींव हमारी डबल इंजन सरकार हरियाणा को बेजोड़ विकास की ओर ले जाने के लिए तैयार है। सड़क परियोजनाओं, महिला शिक्षा और फसल खरीद में महत्वपूर्ण निवेश इस दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।”
उन्होंने यह भी सराहा कि सरकार किसानों के हितों को सर्वोपरि रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें 51 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद और फसल हानि मुआवजे के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी किसान-मित्र योजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है।
विपक्ष के दावों का जवाब देते हुए, श्री राणा ने मुख्यमंत्री के उस कथन का दृढ़ समर्थन किया जिसमें उन्होंने राज्य में उर्वरक की कोई कमी नहीं होने की बात कही थी। उन्होंने कहा, “विपक्ष का डीएपी उपलब्धता जैसी मुद्दों को राजनीति बनाने का प्रयास निराधार है। तथ्य स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि हमने किसानों के लिए एक सुचारू आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं।”