देश में दिवाली को लेकर धूम शुरू हो चुकी है, लेकिन दिवाली पर होने वाली आतिशबाजी को रोकने के लिए अलग-अलग राज्यों पटाखों को लेकर राज्यों ने गाइडलाइन जारी कर रखी है. पटाखे बैन वाले मामले को लेकर विधायक बालमुकुंद आचार्य ने भी अपनी बात कही.
उन्होंने कहा कि जहां स्वास्थ्य की समस्या गंभीर है, वहां पटाखों पर बैन उचित है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सनातन धर्म में पटाखों का विशेष महत्व है और दिवाली के दिन पटाखे चलाए जाने चाहिए.
दिल्ली में पटाखों पर पूरी तरीके से बैन लगाया गया है तो वहीं राजस्थान में दो घंटे पटाखे चलाने की अनुमति है. सराकर के इस फैसले पर विधायक आचार्य ने कहा कि दो घंटे का समय पर्याप्त होता है, लेकिन लोग इस समय सीमा का उल्लंघन भी करते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि दिवाली हिंदुओं का त्यौहार है और परंपरा का पालन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ ही लोगों को दूसरों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए.
पटाखों का उपयोग नियंत्रित होना चाहिए- विधायक
विधायक आचार्य ने कहा कि पटाखों का उपयोग नियंत्रित होना चाहिए ताकि इससे किसी की सेहत को नुकसान न हो. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज में त्योहारों का महत्व सिर्फ आस्था से नहीं, बल्कि परंपराओं से भी जुड़ा है. दिवाली के दिन पटाखे चलाना इसी परंपरा का एक हिस्सा है. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे नियम बनाए जाने चाहिए जिनसे लोग परंपराओं का पालन करते हुए दूसरों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रख सकें.
किन राज्यों में कितनी छूट
दिवाली पर पटाखों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न राज्यों ने कड़े नियम लागू किए हैं. दिल्ली में दिवाली पर केवल ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति है, वह भी सिर्फ रात 8 बजे से 10 बजे तक. दिल्ली सरकार ने 2025 तक सभी अन्य पटाखों के निर्माण, भंडारण, और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है.
पंजाब में भगवंत मान सरकार ने रात 8 से 10 बजे तक केवल दिवाली पर पटाखे फोड़ने की छूट दी है, बाकी समय पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध है. हरियाणा में ग्रीन पटाखों को छोड़कर अन्य पटाखों पर बैन जारी है. गुरुग्राम में केवल ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दी गई है.
इसके साथ ही बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर और गया में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है, और इन शहरों में पटाखों की बिक्री का लाइसेंस भी नहीं दिया गया है. वहीं महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में केवल ग्रीन पटाखों की अनुमति दी गई है, जो सामान्य पटाखों की तुलना में 30% कम प्रदूषण फैलाते हैं. तमिलनाडु में पटाखे चलाने का समय सुबह 6 से 7 बजे और शाम को 7 से 8 बजे तक तय किया गया है.