Delhi News: दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने 11 वर्षों से बीजेपी और आम आदमी पार्टी सरकार की जनता के प्रति बेरुखी के विरोध में मंगलवार से ‘दिल्लीं जोड़ो यात्रा’ का शुभारंभ किया.
इस यात्रा की शुरुआत कर उन्होंने बीजेपी-आप दोनों को साफ संकेत दे दिया है कि इस बार कांग्रेस पूरे दमखम के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेगी. देंवेंद्र यादव ने कहा कि एक महीने की यात्रा के दौरान हमारी पार्टी जनता के बीच बीजेपी और आम आदमी पार्टी को बेनकाब करने का काम करेगी.
इस दौरान उन्होंने आम आदमी पार्टी की नाकामियों का एक वीडियो भी लॉन्च किया. वहीं, दिल्ली न्याय यात्रा का लोगो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद जे.पी. अग्रवाल ने लॉच किया.
सभी विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी यात्रा
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर दिल्ली कांग्रेस देवेंद्र यादव की देखरेख में दिल्ली की सभी 70 विधानसभाओं में 4 चरणों में दिल्ली जोड़ो यात्रा निकालेगी. यह यात्रा एक महीने तक चलेगी. जिसके पहले चरण में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट से 8 नवंबर को शुरु किया जाएगा. पहले चरण में 16 विधानसभाओं में चांदनी चौक से शुरु होकर 13 नवंबर चलेगी. दूसरे चरण में दिल्ली न्याय यात्रा 18 विधानसभाओं में 15 से 20 नवंबर तक चलेगी. यह करावल नगर से शुरू होकर जंगपुरा विधानसभा में खत्म होगी.
तीसरे चरण में दिल्ली न्याय यात्रा 16 विधानसभाओं में 22 से 27 नवंबर तक चलेगी. यह बदरपुर विधानसभा से शुरू होकर द्वारका में खत्म होगी। चौथे चरण में दिल्ली न्याय यात्रा में 20 विधानसभाओं में 29 से शुरू होकर 4 दिसबर तक हरी नगर विधानसभा से शुरू होकर तिमारपुर विधानसभा क्षेत्र में इसका समापन होगा.
‘पीएम मोदी ने जनता के भरोसे को तोड़ा’
देवेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली जोड़ो यात्रा की जरुरत इसलिए पड़ी है कि पिछले 11 वर्षों में पीएम मोदी ने देश की जनता से वादे किए थे कि महंगाई, बेरोजगारी को खत्म करने और देश को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे. उन्होंने इसके उलट संविधान को कमजोर बनाने और एकपक्ष नीति पर काम किया. जिसका खामियाजा देश की 95 प्रतिशत जनसंख्या भुगत रही है.
‘जनता को हाशिए पर ला खड़ा किया’
आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने लोगों को भ्रमित करके कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार द्वारा विकसित दिल्ली का सत्ता में आने के बाद सर्वनाश कर दिया. अरविंद केजरीवाल ने लोगों को इतने सपने दिखाए कि लोगों ने 2015 में 67 और 2020 में 62 सीटें देकर प्रचंड बहुमत से विधानसभा में भेजा, लेकिन वो 11 वर्षों में लोकपाल तक लागू नहीं कर पाए. प्रचंड बहुमत के बावजूद उन्होंने जनता के लिए कुछ करने की बजाय जनता को हाशिए पर लोकर खड़ा कर दिया है.