India China lac: भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने शनिवार 26 अक्टूबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने एलएसी पर गश्त को लेकर चीन के साथ भारत के सफल समझौते का श्रेय सैन्य और कुशल कूटनीति को दिया।
पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पीछे हटने की प्रक्रिया शुक्रवार को शुरू हुई और 29 अक्टूबर तक पूरी होने की उम्मीद है। दोनों देशों की ओर से गश्त 30-31 अक्टूबर से फिर शुरू होगी। दरअसल, पुणे में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि चीन के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में अभी भी कुछ समय लगेगा, क्योंकि विश्वास को फिर से बनाने की जरूरत है। उन्होंने रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक को याद किया। यह तय हुआ कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भविष्य के कदमों पर चर्चा करने के लिए मिलेंगे।
इस दौरान जयशंकर ने पीटीआई से बातचीत करते हुए कहा,’अगर आज हम उस मुकाम पर पहुंचे हैं, जहां हम हैं..तो इसका एक कारण हमारी ओर से अपनी जमीन पर डटे रहने और अपनी बात रखने के लिए किए गए दृढ़ प्रयास हैं। सेना देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में (एलएसी पर) मौजूद थी और सेना ने अपना काम किया और कूटनीति ने अपना काम किया।’
कहा कि आज हम एक दशक पहले की तुलना में प्रतिवर्ष पांच गुना अधिक संसाधन लगा रहे हैं, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं और सेना को वास्तव में प्रभावी ढंग से तैनात करने में सक्षम बना रहे हैं। इन (कारकों) के संयोजन के कारण ही यह आज यहां तक पहुंची है।