उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को पड़ोसी देशों में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की और इस पर “कथित नैतिक उपदेशकों” की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इन लोगों का व्यवहार मानवाधिकारों के विरुद्ध है।
धनखड़ ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए की। उन्होंने कहा, “हम अत्यधिक सहिष्णु हैं, और इस तरह के अतिक्रमणों के प्रति अधिक सहिष्णुता ठीक नहीं है। सोचिए अगर आप उनमें से एक होते तो।”उप-राष्ट्रपति ने आगे कहा, “लड़कों, लड़कियों और महिलाओं के साथ की गई बर्बरता, यातना और भयावह अनुभवों को देखें। हमारे धार्मिक स्थलों का अपमान किया जा रहा है।” हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी यह टिप्पणी बांग्लादेश में हाल ही में हिंदुओं पर हुए हमलों से जुड़ी मानी जा रही है।पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के अगस्त में सत्ता से बाहर होने के बाद से वहां हिंदुओं पर हमलों की खबरें बढ़ी हैं। दुर्गा पूजा के दौरान हुई हिंसा के चलते 17 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई है और कई मामले दर्ज किए गए हैं। बांग्लादेश की 17 करोड़ की आबादी में हिंदुओं की संख्या केवल 8 प्रतिशत है। धनखड़ ने कहा कि इस तरह के मामलों पर चुप्पी साधे रखना उचित नहीं है और मानवाधिकारों के समर्थकों को इस पर ध्यान देना चाहिए।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि कुछ हानिकारक ताकतें भारत की ”खराब छवि” पेश करने की कोशिश कर रही हैं और उन्होंने ऐसे प्रयासों को बेअसर करने के लिए ”प्रतिघात” करने का आह्वान किया। धनखड़ ने साथ ही कहा कि भारत को दूसरों से मानवाधिकारों पर उपदेश या व्याख्यान सुनना पसंद नहीं है। उन्होंने यहां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए विभाजन, आपातकाल लागू किए जाने और 1984 के सिख विरोधी दंगों को ऐसी दर्दनाक घटनाएं बताया, जो ”याद दिलाती हैं कि आजादी कितनी नाजुक होती है।”धनखड़ ने कहा, ”कुछ ऐसी हानिकारक ताकतें हैं जो एक सुनियोजित रूप से हमें अनुचित तरीके से कलंकित करना चाहती हैं।” उन्होंने कहा कि इन ताकतों का अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल कर ”हमारे मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठाने” का ”दुष्ट इरादा” है। उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतों को बेअसर करने की जरूरत है और भारतीय संदर्भ में वे इसके लिए ”प्रतिघात” शब्द का इस्तेमाल करेंगे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन ताकतों ने सूचकांक तैयार किए हैं और ये दुनिया में हर किसी को ‘रैंक’ दे रही हैं ताकि ”हमारे देश की खराब छवि” पेश की जा सके। उन्होंने भुखमरी सूचकांक पर भी निशाना साधा, जिसकी सूची में भारत की रैंकिंग खराब है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सरकार ने जाति और पंथ की परवाह किए बिना 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया।