Shiv Sena (UBT) Sanjay Raut: शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने शुक्रवार को मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया है। संजय राउत ने जोर देकर कहा कि यह सामूहिक प्रयासों का नतीजा है और इसका श्रेय किसी एक पार्टी या नेता को नहीं दिया जा सकता।
पत्रकारों से बात करते हुए राउत ने कहा कि अगर शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के पीछे भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का मकसद महाराष्ट्र में लोकसभा में अपनी हार की भरपाई करना है। संजय राउत ने कहा कि मराठी भाषा को “भिक्षा” की जरूरत नहीं है, क्योंकि मराठी एक महान भाषा है।
केंद्र सरकार ने मराठी के साथ-साथ इन भाषाओं को भी दिया शास्त्रीय भाषा का दर्जा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। यह कदम महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उठाया गया है। महाराष्ट्र में अगले महीने चुनाव होने की संभावना है। अब तक भारत में छह शास्त्रीय भाषाएं थीं- तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया।
संजय राउत बोले- पिछले 30 से 35 सालों हर राजनीतिक नेता इसके लिए लगा हुआ था
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा, “पिछले 30 से 35 सालों में हर राजनीतिक नेता और मुख्यमंत्री ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए काम किया। यह एक बड़ा सम्मान है। यह सामूहिक योगदान के कारण है, न कि किसी एक पार्टी या किसी नेता के कारण।”
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने दशकों से संसद के हर सत्र में इस मुद्दे को उठाया है। भाजपा पर कटाक्ष करते हुए संजय राउत ने कहा कि भाजपा ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देकर कागजों पर तो सम्मान दिया है, लेकिन उसे महाराष्ट्र से बाहर उद्योगों को जाने से रोकना चाहिए।
राज्य विधानसभा चुनावों से पहले मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग ने राजनीतिक गति पकड़ ली है। महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार ने इस साल की शुरुआत में पूर्व राजनयिक ज्ञानेश्वर मुले की अगुआई में एक समिति बनाई थी।
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित करते हुए ”शास्त्रीय भाषाओं” के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का फैसला किया।