बिहार में नीतीश कुमार ने जब मई 2014 में इस्तीफ़ा दिया तो सीएम पद के लिए जीतन राम मांझी पर भरोसा किया.
झारखंड में हेमंत सोरेन ने जनवरी 2024 में जेल जाने से पहले यही भरोसा चंपाई सोरेन पर किया और वो सीएम बनाए गए.
मगर जब नीतीश कुमार और हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी हुई तो जीतन राम मांझी, चंपाई सोरेन ने अपनी राहें अलग कर लीं और बीजेपी से हाथ मिला लिया.
अब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने जब सीएम पद से इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया तो भरोसा आतिशी पर किया है. आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी.
सवाल ये है कि नीतीश कुमार और हेमंत सोरेन के साथ हुए मामलों को देखते हुए भी अरविंद केजरीवाल ने आतिशी पर भरोसा क्यों किया?
अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी सक्रिय हो गई थीं. मीडिया में ऐसी चर्चा शुरू हो गई थी कि सुनीता केजरीवाल मुख्यमंत्री बन सकती हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
आतिशी पर भरोसे की वजह?
आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती ने अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू से कहा, ”जब अरविंद जी और मनीष जी जेल में थे, तब आतिशी ने पार्टी से जुड़े मसलों को संभालने के मामले में अपना लोहा मनवाया है. अरविंद और सिसोदिया के निर्देशों को आतिशी ही विधायकों और पार्षदों तक पहुंचा रही थीं. इसके अलावा आतिशी पार्टी में महिला चेहरा भी हैं.”
पार्टी के प्रवक्ता और बुराड़ी के पार्षद संजीव झा ने कहा, ”विधानसभा चुनाव होने में कुछ महीने ही बाक़ी हैं. हम पार्टी में बहुत बदलाव नहीं करना चाहते थे. आतिशी को इसलिए चुना गया क्योंकि वो अभी सबसे ज़्यादा विभागों को संभाल रही थीं. आतिशी को गवर्नेंस की अच्छी समझ भी है.”
आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने द हिंदू अख़बार से कहा- आतिशी को चुना जाना स्वाभाविक है क्योंकि वो भरोसेमंद हैं और कभी पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं गई हैं.
आतिशी के पास दिल्ली सरकार में फ़िलहाल 14 विभागों की ज़िम्मेदारी है. इसमें वित्त, शिक्षा और बिजली जैसे बड़े विभाग भी शामिल हैं.
जब आतिशी को इन ज़िम्मेदारियों के लिए चुना गया था, तब वो कई वरिष्ठ नेताओं को पीछे छोड़ते हुए आगे आई थीं. आतिशी को तब पार्टी के सह-संस्थापक और दो बार मंत्री रहे गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और राखी बिरला की तुलना में चुना गया.
पार्टी के एक नेता ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ”केजरीवाल ख़ुद आईआईटी ग्रैजुएट हैं. केजरीवाल के साथ ये रहा है कि वो हमेशा ज़्यादा पढ़े लिखे लोगों के साथ काम करना चाहते रहे हैं. केजरीवाल के कई सलाहकार आईआईटी ग्रैजुएट हैं. ऐसे में आतिशी का पार्टी में आगे बढ़ना स्वाभाविक था.”