नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का बड़ा बयान सामने आया है। जांच एजेंसी का कहना है कि पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष (Sandip Ghosh) अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर अनुचित लाभ के लिए ”आपराधिक गिरोह” चला रहे थे।
एक अधिकारी ने शनिवार ने बताया कि अस्पताल में कथित वित्तीय धांधली से जुड़ी सीबीआई जांच के शुरुआती निष्कर्षों में यह बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस सप्ताह की शुरुआत में यहां एक विशेष अदालत के समक्ष भी सुनवाई के दौरान अपने ये निष्कर्ष पेश किए थे।
सुरक्षा गार्ड समेत दो वेंडर गिरफ्तार सीबीआई ने घोष, उनके सुरक्षा गार्ड और दो वेंडर को सरकारी अस्पताल में वित्तीय धांधली में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था। आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या (Rape and Murder) के बाद देश भर में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। अधिकारी ने कहा, ”ये (दोनों) वेंडर घोष को तब से जानते थे, जब वह मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कार्यरत थे। हमने पाया है कि घोष के साथ निकटता के कारण ही उन्हें आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के ठेके दिए थे।”
सीबीआई जांच में हुए बड़े खुलासे घोष 2016 से 2018 के बीच मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में तैनात थे। अधिकारी ने कहा कि सीबीआई की जांच में यह भी पता चला है कि किस तरह घोष ने अस्पताल के अंदर एक कैफे का ठेका देकर अपने सुरक्षा गार्ड की पत्नी से संबंधित संगठन को लाभ पहुंचाया। उन्होंने कहा, ”ये दोनों वेंडर मुर्शिदाबाद में थे और आरजी कर अस्पताल का प्राचार्य बनने पर घोष उन्हें कोलकाता ले आए। उन्हें अस्पताल में सामग्री की आपूर्ति के लिए तरजीह दी गई थी।”