चंडीगढ़ : श्री गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केंद्र हॉस्टल सैक्टर 28 मध्य मार्ग चंडीगढ़ के प्रबंधन द्वारा बुधवार सुबह हॉस्टल में रह रही13 छात्राओं को करीब 1 घंटे तक हॉस्टल के अंदर ही बंद कर दिया गया | दरअसल हॉस्टल प्रबन्ध के द्वारा इन सभी छात्राओं को दंडित किया जा रहा है। इन छात्राओं का अपराध सिर्फ इतना था कि यह सभी छात्राए विद्या केंद्र परिसर में बने गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने के लिए नहीं गई थी। इस दौरान इन छात्राओं को ना हो नाश्ता दिया गया ना ही हॉस्टल से बाहर निकाला गया। छात्राओं के द्वारा माफ़ी मांगने एवं छात्राओं के परिजनों के द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप करने के बाद इन छात्राओं को हॉस्टल से बाहर निकाला गया। भले ही इस घटना के बाद पीड़ित छात्राये श्री गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केंद्र प्रबंधन कमेटी के खिलाफ खुल कर बोल पाने में असमर्थ है लेकिन इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक संस्थाओ के द्वारा धर्म के नाम लोगो पर थोपे जा रहे अपने तुगलकी फरमानों की एक कड़ी को जरुर उजागर करने का कार्य किया है।
घटना के बारे में जानकारी देते हुए पीड़ित छात्राओं का कहना था कि हॉस्टल प्रबंधन के द्वारा उन्हें सुबह 2 बार नोटिस जारी कर हिदायत दी गई थी कि सभी छात्राओं के द्वारा गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकना अनिवार्य है लेकिन छात्राओं के द्वारा इस हिदायत को संजीदगी से नहीं लिया गया जिसके चलते सजा सवरूप हॉस्टल प्रबंधन ने 13 छात्राओं को हॉस्टल के कमरों में ही एक घंटे तक बंद कर दिया गया | इस दौरान सभी छात्राओं को ना तो नाश्ता दिया गया ना ही बाहर निकाला गया | छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल प्रबंधन का यह कड़ा रुख छात्राओं को अध्यात्मिकता की तरफ जोड़ने का एक प्रयास था।
इस दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केंद्र के प्रिंसिपल गुरदीप सिंह ने बताया कि हॉस्टल में करीब 16 छात्राए रहती है। इन छात्राओं को निशुल्क शिक्षा, रहने खाने की निशुल्क व्यवस्था की गई है | इन छात्राओं को पटियाला यूनिवर्सिटी से बी ए की पढाई भी प्राइवेट करवाई जा रही है साथ ही इन्हें सीखी से जुड़े संस्कार एवं कीर्तन दरबार की भी शिक्षा दी जा रही है लेकिन श्री गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केंद्र के द्वारा यहां रह रही सभी छात्राओं को हिदायत दी हुई है कि सभी छात्राओं का गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकना अनिवार्य है | करीब 10 दिन से कुछ छात्राये इस हिदायत का पालन नहीं कर रही थी। जिसके चलते आज उनके द्वारा छात्राओं को कुछ समय के लिए हॉस्टल में बंद कर दिया गया ताकि वह विद्या केंद्र के नियमो का पालन करें।
बहरहाल श्री गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केंद्र का सजा देने का यह निर्णय वाक्य में ही काफी अजीबो गरीब एवं अचंभित करने वाला है। क्योकिं भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में किसी को जबरन पूजापाठ करने के लिए बाधित करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है और इस सजा ने कही न कही इन छात्राओं के मोलिक अधिकारों सहित उनकी सवतंत्रता पर भी अघात किया है।