Bangladesh Violence Update News: बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने हिंसक प्रदर्शनों के बीच मंगलवार को अहम कदम उठाया। बांग्लादेश की सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामी जमात-ए-इस्लामी पार्टी और उसकी छात्र विंग, इस्लामी छात्रशिबिर पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
यह घोषणा बांग्लादेश में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद की गई है, जिसमें लगभग 150 लोग मारे गए थे। चर्चा है कि इन प्रदर्शनों को कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने हाईजैक कर लिया था।
जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्रसंघ पर प्रतिबंध लगाने का फैसला प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग के नेतृत्व वाले 14 दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन ने लिया। बांग्लादेश के कानून मंत्री अनीसुल हक ने मीडिया को बताया कि जमात पर प्रतिबंध कार्यकारी आदेश के जरिए लागू किया जाएगा। प्रतिबंध को लागू करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए बुधवार को गृह मंत्री के साथ चर्चा की जाएगी।
जमात नेताओं ने प्रतिबंध की आलोचना की और इसे अवैध, न्यायेतर और असंवैधानिक कहा। बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने 2018 में हाई कोर्ट के फैसले के बाद पहले ही कट्टरपंथी दक्षिणपंथी पार्टी जमात का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया था। सरकार ने कहा कि बुधवार से सार्वजनिक और निजी कार्यालय सामान्य रूप से काम करेंगे। हालांकि, इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से बहाल नहीं हुई हैं और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइटें बंद हैं।
न्यायिक जांच समिति करेगी मौतों की जांच!
डेली स्टार की मंगलवार की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यह भी घोषणा की कि उनकी सरकार आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई मौतों की जांच के लिए न्यायिक जांच समिति के गठन हेतु विदेशी तकनीकी सहायता लेगी। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य “एक गहन और मानक जांच” सुनिश्चित करना है। इसी बीच जमात और उसकी छात्र शाखा पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी गई।
इस्लामवादियों ने छात्रों के विरोध प्रदर्शन को कैसे हाईजैक कर लिया?
आरक्षण आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है, क्योंकि इसे “इस्लामवादियों ने हाईजैक कर लिया है। जमात और उसके छात्रसंघ के कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच घुसपैठ की और इसे सरकार के खिलाफ लड़ाई में बदल दिया। ढाका के वरिष्ठ पत्रकार स्वदेश रॉय ने पहले कहा था कि यह अब जमात और अन्य इस्लामी कट्टरपंथी समूहों का आंदोलन बन गया है। लगभग 1,000 की भीड़ में केवल तीन-चार छात्र ही मौजूद हैं।
21 जुलाई को जब बांग्लादेश सरकार ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं, तब फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा कि अधिकांश छात्रों को यह बात समझ में आ गई है और वे आंदोलन से हट गए हैं। हालांकि, शेख हसीना के शासन की आलोचना करने वाले लोगों का मानना है कि ये विरोध प्रदर्शन, जिनमें अधिकांश राजनीतिक ताकतों ने भाग लिया, सरकार के खिलाफ एक स्वाभाविक विरोध प्रदर्शन था।