लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में घमासान मचा हुआ है. राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सीएम योगी की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. पिछले कई दिनों से बीजेपी के विधायक और सहयोगी पार्टी के नेता केशव प्रसाद मौर्य के समर्थन में बयान दे रहे हैं और राज्य की अफसरशाही पर निशाना साध रहे है.
इनमें कैबिनेट मंत्री संजय निषाद, सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर और गोरखपुर के कैम्पियरागंज से बीजेपी विधायक फतेह बहादुर सिंह शामिल थे. इन नेताओं ने यूपी सरकार के प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था, लेकिन लेकिन पिछले कुछ दिनों में यूपी में कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए हैं. उसके बाद से इन विधायकों का सुर बदल गया है और अब सीएम योगी की जमकर प्रशंसा कर रहे हैं.
शुक्रवार को बीजेपी विधायक फतेह बहादुर सिंह की ओर से एक बयान जारी किया गया है. बयान में कहा गया है कि अभी हाल में कथित तौर पर कुछ व्यक्तियों द्वारा मेरी जान-माल का खतरा बताया गया, जिसकी प्रशासन द्वारा उच्च स्तरीय जांच एसटीएफ द्वारा करायी जा रही है, लेकिन अभी तक उसकी पुष्टि नहीं हो पायी है. मैं जांच से पूरी तरह संतुष्ट हूं.
उन्होंने आगे लिखा कि मैं व्यक्तिगत रूप से सीएम योगी के साथ पहले भी था और अभी भी हूं. यहां यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि मुझे पिछले पांच वर्षों में वाई प्लस की सुरक्षा भी मुख्यमंत्री द्वारा उपलब्ध कराई गई है.
फेतहपुर बहादुर ने सीएम योगी पर जताया विश्वास
उन्होंने लिखा कि मुख्यंमत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मैं पूरी तरह से निष्ठा और आस्था के साथ विश्वास रखता हूं. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश का उत्तरोत्तर चहुंमुखी विकास हो रहा है, जिसकी पूरे देश में सराहना की जा रही है.
बता दें कि इसके पहले फतेहपुर बहादुर ने गोरखपुर पुलिस पर उनकी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था, लेकिन शुक्रवार को उनका सुर अचानक ही बदल गया है. विपक्षी पार्टी के नेता यह बदलाव गुरुवार को उनके एक करीबी के होटल पर पुलिस की छापेमारी के साथ जोड़कर देख रहे हैं. छापेमारी के दौरान फतेहपुर बहादुर भी होटल में पहुंचे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया था.
ओमप्रकाश राजभर ने बदला सुर, सीएम योगी को सराहा
इससे पहले सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी राज्य में अफसरों पर मनमानी करने का आरोप लगाया था, लेकिन योगी सकार की आलोचना करने वाले और पुलिस और अफसरों पर मनमानी करने का आरोप लगाने वाले मंत्री ओम प्रकाश राजभर के सुर भी नरम पड़ गये हैं.
हाल में उन्होंने यूपी में भर्तियां निकाले जाने पर यूपी सरकार को सराहा है और कहा कि यूपी की अफसरशाही और अधिकारी नेताओं की बात सुन रहे हैं. सरकार द्वारा नौकरी देने की पहल की भी उन्होंने सरहना की है और दावा किया कि वे एकजुट हैं.
सीएम से मुलाकात के बाद नरम पड़े निषाद
यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री के बेटे संजय निषाद के साथ उनके बेटे सरवन निषाद जो गोरखपुर के चौरी-चौरा से बीजेपी विधायक हैं, उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते हुए यूपी प्रशासन पर सवाल खड़े किए थे. उनके बयान आने के बाद विपक्ष ने योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया था.
निषाद पार्टी के अध्यक्ष और मंत्री संजय निषाद लगातार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के समर्थन में बयान दे रहे थे. उन्होंने सीएम के बुलडोजर नीति पर सवाल खड़ा किया था. गुरुवार को सीएम योगी के साथ उनकी मुलाकात हुई. उसके बाद उनके सुर बदल गये हैं. हालांकि मुलाकात को कैबिनेट मंत्री ने शिष्टाचार भेंट बताया था, लेकिन बातचीत में ही उन्होंने सीएम योगी को अपना अभिभावक बताया दिया.
उन्होंने कहा कि 16 अगस्त को निषाद पार्टी का स्थापना दिवस पर इस अवसर पर उन्होंने सीएम को आमंत्रित किया है. योगी सरकार से मनमुटाव को उन्होंने विपक्षी दल की साजिश और बेबुनियाद करार दिया. बता दें कि यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद और उनके बेटे सरवन निषाद इससे पहले अपनी सुरक्षा को लेकर यूपी पुलिस पर सवाल खड़ा किया था.
जानें नेताओं ने क्यों बदला सुर?
राजनीतिक विश्वलेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की शिकस्त के बाद जिस तरह से पार्टी की अदरूनी कलह सामने आयी थी. उसके बाद सीएम योगी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश शुरू हो गई थी, लेकिन हाल में जिस तरह से राज्य का राजनीतिक घटनाक्रम बदला है और सियासी कदम उठाए गए हैं. उसके बाद आवाज उठाने वाले विधायकों को यह लगने लगा है कि फिलहाल यूपी में योगी की ही सरकार बनी रहेगी. ऐसें सीएम योगी के संबंध खराब करने का कोई लाभ नहीं है और इन विधायकों ने शुरुआत में तेवर दिखाने के बावजूद अब अपने सुर नरम कर लिये हैं.