महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने बुधवार को होम मिनिस्टर अमित शाह से मुलाकात की। दोनों पक्षों की ओर से इस पर चुप्पी ही रखी गई है, लेकिन कयास हैं कि मीटिंग सीट बंटवारे को लेकर थी।
चर्चा है कि अजित पवार की एनसीपी ने विधानसभा चुनाव में 80 से 90 विधानसभा सीटों की मांग की है। खासतौर पर उन 54 सीटों पर अजित पवार ने दावेदारी की, जिन पर संयुक्त एनसीपी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। एनडीए के बीच लोकसभा चुनाव के बाद से ही विधानसभा में सीट बंटवारे को लेकर मंथन जारी है।
अजित पवार गुट के खिलाफ आरएसएस के कई विचारकों ने आवाज उठाई थी। लोकसभा नतीजों के बाद पांचजन्य में एक लेख लिखा गया था, जिसमें अजित पवार से गठबंधन को बैकफायर करने वाला फैसला बताया गया था। इसके अलावा आरएसएस से जुड़ी मराठी पत्रिका विवेक में भी इस पर सवाल उठाए गए थे। ऐसी स्थिति में अजित पवार का अमित शाह से मिलना मायने रखता है। पवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच बुधवार देर रात बैठक हुई। उन्होंने बताया कि पवार के 28 जुलाई को फिर से यात्रा करने की संभावना है। चुनाव इस साल अक्टूबर में होने की संभावना है।
अमित शाह से मीटिंग के बाद अजित पवार ने दिल्ली में ही देवेंद्र फडणवीस समेत कई अन्य भाजपा नेताओं से मुलाकात की। अजित पवार की डिमांड है कि पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र की कम से कम 20 सीटें उन्हें दी जाएं। इन सीटों पर वह कांग्रेस के खिलाफ उतरना चाहते हैं। अजित पवार की मुंबई की भी 4 से 5 सीटों पर नजर है। यहां भी उनकी राय है कि वे कांग्रेस से ज्यादा बेहतर तरीके से लड़ सकते हैं।
इस लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल कर पाई। पवार की पत्नी सुनेत्रा (बारामती सीट से चुनाव लड़ी थीं) को मौजूदा सांसद और एनसीपी-शरदचंद्र पवार प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने हराया था। बाद में सुनेत्रा पवार निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुनी गईं। पवार जुलाई 2023 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हुए और उपमुख्यमंत्री बने। हाल के दिनों में भाजपा के कुछ नेताओं और आरएसएस ने लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन के खराब प्रदर्शन के लिए अजित पवार और उनकी पार्टी एनसीपी को महायुति में शामिल किए जाने को जिम्मेदार ठहराया था।