देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ की स्पेशल यूनिट ‘रेपिड एक्शन फोर्स’, जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा/दंगे से निपटते हुए देखा जा सकता है, उसकी वीरता को हरियाणा सरकार ने भुला दिया है।
गत फरवरी में हरियाणा-पंजाब के शंभू व खनौरी बॉर्डर पर किसानों के साथ पुलिस का जो संघर्ष हुआ था, उसमें हरियाणा सरकार ने अपने तीन आईपीएस और तीन एचपीएस अधिकारियों को वीरता पदक देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से सिफारिश कर दी। शंभू बॉर्डर पर संघर्ष के दौरान सीआरपीएफ/आरएएफ की 106वीं बटालियन के जवानों/अफसरों ने भी बहादुरी का परिचय दिया था। आरएएफ ने उन लोगों की भीड़ को आगे बढ़ने से रोक दिया था, जिनके हाथों में भाले व तलवार सहित कई तरह की हानिकारक सामग्री थी। खास बात है कि सीआरपीएफ मुख्यालय ने भी आरएएफ के उस दस्ते को किसी तरह का कोई अवार्ड नहीं दिया। बल ने इस संबंध में कोई सिफारिश नहीं की। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हरियाणा सरकार की वह फाइल वापस लौटा दी है, जिसमें पुलिस अफसरों को वीरता पदक देने की सिफारिश की गई है। यह भी कहा है कि इस फाइल में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की भूमिका का उल्लेख किया जाए। संयुक्त ऑपरेशन में उनके असाधारण साहस का जिक्र हो।
तलवार व भालों से लैस थे प्रदर्शनकारी …
बता दें कि फरवरी के दौरान शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर किसानों द्वारा अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन किया जा रहा था। किसान संगठन, दिल्ली कूच करना चाहते थे, जबकि पुलिस उन्हें आगे बढ़ने नहीं दे रही थी। इसके चलते पहले शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ। उसमें दर्जनों लोगों को चोट आई थी। वहां ड्यूटी पर मौजूद दो पुलिसकर्मी मारे गए थे। कुछ दिन बाद खनौरी बॉर्डर पर भी पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष हुआ था। यहां पर किसान शुभकरण की मौत हो गई थी। शंभू बॉर्डर पर सीआरपीएफ/आरएएफ के दस्ते ने किसानों के साथ हुए संघर्ष में असाधारण बहादुरी का प्रदर्शन किया था। यह बात संघर्ष के कई वीडियो और फोटो में भी दिखाई पड़ रही थी। किसानों की भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने तलवार व भालों से पुलिस पर हमला बोल दिया था। आएरएफ ने जान की परवाह न करते हुए किसानों को आगे नहीं बढ़ने दिया था।
गृह मंत्री कर चुके हैं प्रशंसा …
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सीआरपीएफ की कार्यशैली, वीरता और कर्तव्य परायणता की कई बार सार्वजनिक मंच से प्रशंसा कर चुके हैं। गत वर्ष छत्तीसगढ़ में आयोजित बल के 84वें स्थापना दिवस पर अमित शाह ने कहा था, मैं देश के किसी भी कोने में रहूं, अगर कोई अप्रिय घटना घटती है, लेकिन जैसे पता चलता है कि सीआरपीएफ वहां पहुंच गई है तो मैं निश्चिंत होकर अपने काम में लग जाता हूं। ये सीआरपीएफ के प्रति मेरा विश्वास है। आतंकवाद और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इस बल की वीरता किसी से छिपी नहीं है।
इन लोगों को वीरता पदक देने की सिफारिश …
शंभू व खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने असाधारण साहस दिखाने वाले तीन आईपीएस व तीन एचपीएस अधिकारियों को वीरता पदक देने की सिफारिश कर दी। इनमें पुलिस महानिरीक्षक अंबाला रेंज सिबाश कबिराज, अंबाला के तत्कालीन एसपी जश्नदीप सिंह रंधावा और जींद के एसपी सुमित कुमार के नाम का प्रस्ताव किया गया। ये सभी आईपीएस अधिकारी हैं। इनके अलावा हरियाणा पुलिस सेवा (एचपीएस) के अधिकारी नरेंद्र सिंह, राम कुमार और अमित भाटिया का नाम भी वीरता पदक की सिफारिश वाली फाइल में शामिल किया गया।
वह एक संयुक्त अभियान था, एमएचए …
गृह मंत्रालय ने उक्त अफसरों की असाधारण वीरता वाली फाइल को यह कहते हुए वापस लौटाया है, यह देखा गया है कि रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के कर्मियों ने भी उक्त कार्रवाई में भाग लिया था। फाइल में इनके नाम की कोई अनुशंसा तक नहीं थी। वह एक संयुक्त अभियान था।
राज्य सरकार को अपने प्रस्ताव में इसका जिक्र करना चाहिए था।
बल के जवान बेहतरीन कार्य करते हैं…
इस बाबत सीआरपीएफ के सूत्रों का कहना है कि शंभू बॉर्डर पर किसानों को रोकने में आरएएफ की अहम भूमिका थी। इसके बावजूद बल मुख्यालय द्वारा उक्त बटालियन के दस्ते को डीजी डिस्क नहीं दी गई। न ही किसी दूसरे अवार्ड की सिफारिश की गई। इस संबंध में सूत्रों का कहना है, सीआरपीएफ एक केंद्रीय बल है। हिंसा व दंगे की स्थिति में देश के हर हिस्से से यह मांग आती है कि वहां पर सीआरपीएफ को भेजा जाए। सीआरपीएफ के लिए कानून व्यवस्था के मोर्चे पर ये सामान्य घटना है। बल के जवान बेहतरीन कार्य करते हैं। इनकी वीरता किसी से छिपी नहीं है।