नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सावन के महीने में हर साल राज्य से काफी संख्या में लोग कावड़ लेने जाते है। कोई सैकड़ों किलोमीटर के सफर करके पैदल पहुंचे तो कोई दो पहिया वाहन के जरिए जाते है।
सब की अपनी- अपनी सद्धा होती है। लेकिन इस दौरान उत्तर प्रदेश में सावन महीने के दौरान कांवड़ यात्रा रूप पर होटल, रेस्तरां, ढाबा, फल और खान-पान की सहित कई दुकानों पर मालिक के नाम का बोर्ड लगाने के आदेश पर सत्ताधारी पार्टी की सहयोगियों पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है। देश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूप पर मालिक के नाम का बोर्ड लगाने के आदेश दिया है जिसको लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगी दल की पार्टी जेडीयू और आरएलडी ने आदेश को वापस लेने की मांग की हैं। प्रदेश में सबसे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ रूट की दुकानों को ऐसा निर्देश दिया जिसके बाद शामली और सहारनपुर में भी ऐसे ही निर्देश दिए गए। इसके पार्टी विपक्षी पार्टियों ने समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और दूसरे विपक्षी नेताओं ने विरोध किया। इसके बाद मुजफ्फरनगर की पुलिस ने गुरुवार को सफाई में कहा कि ये निर्देश स्वैच्छिक हैं। लेकिन शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे यूपी में कांवड़ रूट पर दुकानदारों को नाम लगाने का आदेश दिया है। मालिकों के नाम लिखने को लेकर विवाद इस दौरान आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर कहा है कि उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपनी दुकानों पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना जाति और संप्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है।
रालोद नेता ने इसे गैर संवैधानिक निर्णय बताते हुए प्रशासन से वापस लेने की मांग की है। जयंत चौधरी की पार्टी के ज्यादा सांसद तो नहीं हैं लेकिन वेस्ट यूपी में वो भाजपा की इकलौती सहयोगी पार्टी है। जयंत चौधरी की पार्टी की राजनीति में मुसलमानों को जगह मिलती रही है इसलिए उसके प्रदेश अध्यक्ष का बयान इलाके में अल्पसंख्यकों के बीच इस आदेश से फैल रही नाराजगी का इजहार है।