चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने प्रत्येक जिला स्तर पर लापरवाही के लिए जिला मेडिकल बोर्ड (डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्डस फॉर नैग्लिजेंस) के नाम से एक मेडिकल बोर्ड गठित किया है ताकि चिकित्सा लापरवाही के लिए निजी या सरकारी डॉक्टरों या अस्पतालों के विरूद्ध शिकायतों का फैसला किया जा सके। एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्डस फॉर नैग्लिजेंस में जिला के सिविल सर्जन अध्यक्ष के रूप में शामिल होंगे, जबकि प्रधान चिकित्सा अधिकारी या जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक इसके सदस्य सचिव होंगे। इसके सदस्यों में शिकायत से सम्बंधित विशेषज्ञता के दो विषय विशेषज्ञ होंगे, दोनो चाहे सरकारी या एक सरकारी व एक निजी शामिल हैं। यदि कोई विषय विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है तो दूसरे जिले से अध्यक्ष को, जिला आईएमए के एक सदस्य को बुलाया जा सकता है, जिसका निर्णय जिला आईएमए अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्डस फॉर नैग्लिजेंस चिकित्सा लापरवाही के लिए निजी या सरकारी डॉक्टरों या अस्पतालों के विरूद्ध सभी शिकायतों पर विचार करेगा और शिकायत से सम्बंधित किसी भी व्यक्ति की सहायता या किसी भी रिकार्ड को मांगने के लिए सशक्त होगा। बोर्ड के पास मामले की आवश्यकता अनुसार परिसरों का निरीक्षण करवाने की शक्ति होगी।
उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी लापरवाही के आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्डस फॉर नैग्लिजेंस से एक स्वतंत्र और सक्षम चिकित्सा राय लेगा। बोर्ड जांच में एकत्रित किये गए तथ्यों के लिए बोलम परीक्षण करवाने के लिए एक निष्पक्ष राय देगा और शिकायत प्राप्त करने के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया तैयार करेगा।
डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्डस फॉर नैग्लिजेंस का गठन सर्वोच्च न्यायालय के 5 अगस्त, 2005 के आदेश की अनुपालना में किया गया है।