Karnataka local reservation bill: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य के स्थानीय लोगों को प्राइवेट सेक्टर में नौकरी देने को लेकर एक विधेयक पारित किया है। ये कर्नाटक में खासकर बेंगलुरू में प्राइवेट सेक्टर में बाहर से आकर नौकरी करने वालों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
इसकी वजह है कि कर्नाटक मंत्रिमंडल के द्वारा पास किए विधेयक में प्राइवेट सेक्टर में सी और डी ग्रेड की नौकरियों में 100 फीसदी कन्नड़ा लोगों को आरक्षण देने की बात कही गई है। तो आइए जानते हैं कि बेंगलुरू या कर्नाटक के अन्य जिलों में बसे बाहरी लोगों को प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां क्या सच में नहीं मिलेगी?
बता दें सिद्धारमैया सरकार के मंत्रिमंडल द्वारा स्थानीय लोगों के लिए पारित किए गए इस विधेयक में “कन्नड़” शब्द को फिर से परिभाषित किया है, उसके अंतर्गत आइए जानते हैं कौन कन्नडिगा है?
कर्नाटक स्थानीय आरक्षण बिल में जानें कौन कन्नडिगा?
कर्नाटक सरकार ने स्थानीय उम्मीदवारों के लिए नौकरी आरक्षण देने की मंशा के साथ स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक 2024′ में “कन्नड़” शब्द को फिर से परिभाषित किया है। जिसके अंतर्गत 15 साल तक कर्नाटक में रहा है, कन्नड़ बोल और लिख सकता है, और प्रवीणता परीक्षा (Proficiency exam) पास कर लेता है, उसे कन्नड़िगा माना जाएगा।” इस बदलाव का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत कानूनी मुद्दों से बचना है, जो समान रोजगार के अवसर सुनिश्चित करता है।
जानें किन सेक्टर में 100 फीसदी आरक्षण की बात की गई है?
बता दें कर्नाटक राज्य के उद्योग, कारखानों और प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों को नौकरी देने संबंधी इस विधेयक के तहत राज्य में मैनेजमेंट नौकरियों का 50% और नॉन मैनेजमेंट नौकरियों का 70% आरक्षित किया जाएगा। कन्नड़ में माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र के बिना उम्मीदवारों को एक नोडल एजेंसी द्वारा निर्धारित प्रवीणता परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। विधेयक प्रतिष्ठानों को स्थानीय उम्मीदवारों की अनुपलब्धता की स्थिति में छूट मांगने की भी अनुमति देता है।