नतीजे जब आपके पक्ष में हों तो सब अच्छा लगता है, लेकिन जब खिलाफ हों तो खामियां और कमजोरियां सामने आने लगती हैं. यूपी बीजेपी में कुछ ऐसा हो रही है. पार्टी लोकसभा चुनाव में सूबे की 33 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. प्रदर्शन इतना खराब कैसे रहा, इसे लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है.
पार्टी के ही कुछ नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं. जो नेता दबी जुबान में बात करते थे वो खुलकर सामने आ रहे हैं. सियासी गलियारे में ये भी चर्चा शुरू हो गई कि मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम के बीच पटरी बैठ नहीं रही है. कहा ये भी जाता है कि योगी आदित्यनाथ की बैठक से दोनों उपमुख्यमंत्री गायब रहते हैं.
ये बातें बताती हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद योगी आदित्यनाथ कमजोर हुए हैं. लेकिन पार्टी में उठते विरोध के सुर के बीच योगी आदित्यनाथ के पास दम दिखाने का मौका भी है. वह अपनी ताकत आगामी विधानसभा उपचुनाव में दिखा सकते हैं. सूबे की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. अभी इनमें से 5 सीटें NDA के पाले में हैं तो 5 सपा के पाले में. बीजेपी अगर इन 10 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती है तो जाहिर तौर पर योगी आदित्यनाथ को ताकत मिलेगी और जो विरोधी अभी खुलकर अपनी बातें रख रहे हैं वो भी काफी हद तक शांत हो जाएंगे.
जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उसमें फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझवां, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी और कुंदरकी और सीसामऊ है. सीसामऊ को छोड़कर बाकी की 9 सीटों के विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं, जबकि सीसामऊ सीट सपा के नेता इरफान सोलंकी की सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हो गई है.
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ सीएम योगी (फोटो-पीटीआई)
सीएम योगी आदित्यनाथ को भी पता है कि विरोधियों को शांत करने के लिए उपचुनाव अच्छा मौका है. यही वजह है कि वह एक्शन में हैं. उन्होंने बुधवार को मंत्रियों की बैठक भी बुलाई है. सीएम योगी मंत्रियों से चुनाव की तैयारियों के संबंध में फीडबैक लेंगे. इससे पहले सीएम योगी ने 30 जून को भी एक बैठक की थी, जिसमें उन्होंने उपचुनाव में मंत्रियों की ड्यूटी लगाई थी.
सपा के किले में सेंध लगाना चुनौती
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव है उसमें से 5 को सपा का किला माना जाता है. ये सीटें हैं करहल, कुंदरकी, कटहरी, सीसामऊ और मिल्कीपुर. करहल से सपा प्रमुख अखिलेश यादव विधायक हैं. वह अब सांसद बन गए हैं. कन्नौज से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं. वहीं, मिल्कीपुर सीट अयोध्या के अंतर्गत आती है. अवधेश प्रसाद 9 बार यहां के विधायक रहे हैं. उनके सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई है.
कटहरी अंबेडकरनगर की सीट है. यहां से सपा के लालजी वर्मा विधायक थे. वह अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से सांसद बन गए हैं. कुंदरकी सीट मुरादाबाद के अंतर्गत आती है. ये मुस्लिम बहुल है. इसे सपा का गढ़ माना जाता है. जियाउर रहमान वर्क यहां से विधायक थे, लेकिन इस बार संभल लोकसभा सीट से जीतकर वह सांसद बन गए हैं.
‘अपनों’ को संभालना भी चुनौती
हालांकि उपचुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ को यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक करना होगा. उन्होंने ‘अपनों’ को संभालना होगा. उन नेताओं पर ध्यान देना होगा जिनके बयान से डैमेज हो सकता है. संगठन और सरकार के बीच चीजें दुरस्त करनी होगी. ऐसा इस वजह से क्योंकि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी बीजेपी कार्यसमिति में कहा था कि संगठन सरकार से ऊपर होता है. कोई व्यक्ति या सरकार संगठन से बड़ा नहीं हो सकता है. उन्होंने कार्यकर्ताओं का भी जिक्र किया था और कहा कि जो दर्द आपका है वही हमारा भी है. केशव मौर्य जब ये बोले खूब तालियां बजी, लेकिन उनका संबोधन सवाल भी छोड़ गया.
हालांकि उस बैठक में सीएम योगी ने भी उपचुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को मैसेज दे दिया था. सीएम योगी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में यूपी की हार अतिआत्मविश्वास की हार है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल जिस तरह से विपक्ष ने किया, हम उसे काउंटर नहीं कर पाए. उन्होंने नेताओं और कार्यकर्ताओं को ये टास्क भी दे दिया कि उपचुनाव में सबको अपनी ताकत दिखानी होगी.
सीएम योगी की साख का सवाल
उपचुनाव बीजेपी के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ की साख का भी सवाल है. अगर इसमें जीत मिलती है तो ये लोकसभा चुनाव में मिली हार के लिए मरहम का काम करेगा. इसलिए सीएम योगी ने मंत्रियों को हर हाल में जीत दर्ज करने के अभी से क्षेत्रों में डटे रहने को कहा गया है. वहीं, उपचुनाव की तारीखों की घोषणा जल्द होने की संभावना को देखते हुए बीजेपी में टिकट के लिए भी भागदौड़ शुरू हो गई है. विधायक से सांसद बनने वाले नेता जहां अपने परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिलाने में जुटे हैं. वहीं कई पूर्व सांसद और विधायक भी टिकट के दौड़ में शामिल हैं.