चंडीगढ़ : हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि नासा व इसरो जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां भी फतेहाबाद के ऐतिहासिक कुनाल साइट का अक्टूबर माह में खुदाई कार्यों का निरीक्षण करेंगी। उन्होंने कहा कि कुनाल व राखीगढ़ी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय खोलने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। फतेहाबाद के कुनाल गांव में हुई खुदाई में मिले अवशेषों से इस बात की प्रबल संभावनाए हैं कि कुणाल की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यता है।
पुरातत्व एवं संग्रहालय मंत्री ने कहा कि विभाग द्वारा गांव कुनाल में शुरू की गई खुदाई में प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिले है, जो 6000 साल पूर्व के है। यह सभ्यता अब तक की सबसे पुरानी सभ्यता हो सकती है। हड़प्पाकालीन सभ्यता करीब 3500 साल पुरानी है जबकि प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता तो 5 से 6 हजार वर्ष पुरानी है। खुदाई के दौरान टीम को आभूषण, मणके, हड्डियों के मोती मिले हैं। ये वस्तुएं बेसकीमती है और पुरातत्व विभाग इन्हें अपने संग्रहालय में सहज कर रखेगा। उन्होंने कहा कि यहां पर सन् 1985 में भी खुदाई का काम शुरू हुआ था। उस दौरान यहां 24 कैरेट सोने के हार व चांदी के मुकुट भी मिले थे, यहां पर आभूषण पिघालने की भट्टी भी मिली थी, जिससे यह स्पष्ट लग रहा है कि लोग आभूषण ढालने का काम किसी भट्टी द्वारा करते थे। उन्होंने बताया कि खुदाई में आभूषण, चुडियां, मणके व गोलाकार घर भी मिले हैं, जो हड़प्पाकालीन संस्कृति से भी पूर्व के प्रमाण हैं।
श्री शर्मा ने कहा कि हड़प्पाकालीन सभ्यता के लोग घरों को चौरस बनाते थे। कुनाल में मिट्टी के गोलाकार मकान मिले हैं। कहीं पर भी ईंट और पत्थरों का इस्तेमाल नहीं किया गया है जो दृशा रहा है कि प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष है। उन्होंने कहा कि इस खुदाई का उद्देश्य इस स्थल की प्राचीन भौतिक संस्कृति को उजागर करना है। जहां मुख्य अवस्थापित क्षेत्र लगभग 4 एकड़ है, जबकि विस्तारित क्षेत्र नौ एकड़ है। उन्होंने बताया कि गांव कुनाल ने भारतीय उपमहाद्वीप में आरंभिक हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यहां खुदाई किए जाने से उत्कृष्टï हड़प्पा संस्कृति के उदय और इसके प्राचीन चरणों पर भविष्य में अनुसंधान के नए द्वार खुलेेंगे। इस स्थल पर पहले की गई खुदाई में विकसित जल निकासी प्रणाली के अवशेष मिले थे।