Doda Attack: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के देसा जंगलों में सोमवार रात मुठभेड़ के बाद मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत चार जवानों की मौत हो गई है। सूत्रों ने बताया है, कि आतंकवादियों का पीछा करने के बाद कम से कम पांच सैनिक गोली लगने से घायल हो गए थे।
जवानों के साथ मुठभेड़ के बाद आतंकी जंगल में भाग गये, वहीं घायल सैनिकों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बाद में उनमें से पांच जवान शहीद हो गए।
नगरोटा स्थित व्हाइट नाइट कोर ने शुरुआती रिपोर्टों का हवाला देते “बहादुर जवानों के घायल होने” की पुष्टि की, लेकिन घायलों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है। इसने अपने आधिकारिक हैंडल ‘एक्स’ पर पोस्ट किया है, कि “लगभग रात 9 बजे आतंकवादियों को देखा गया था, जिसके बाद भारी गोलीबारी हुई।” उन्होंने कहा, “इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे गए हैं। ऑपरेशन जारी है।” हालांकि, सूत्रों ने बताया है, कि घायलों में मेजर रैंक का एक अधिकारी भी शामिल थे। मुठभेड़ तब शुरू हुई, जब जंगलों में छिपे आतंकवादियों ने अचानक सुरक्षा बलों के एक दल पर गोलीबारी शुरू कर दी, जो इलाके में गश्त अभियान चला रहा था। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की और दोनों पक्षों के बीच करीब आधे घंटे तक गोलीबारी जारी रही। हालांकि उसके बाद से आतंकवादियों की ओर से कोई गोलीबारी नहीं हुई है।
पिछले कुछ महीनों में कश्मीर में फिर से आतंकी हमलों में भारी वृद्धि हो रही है और हमारे दर्जनों जवान शहीद हुए हैं, और इन आतंकी घटनाओं ने देश के लोगों को गुस्से में भर दिया है। सेना के पूर्व अधिकारी भी गुस्से में भरे हुए हैं और सरकार से सवाल पूछ रहे हैं, कि क्या देश के जवानों की जान की कोई कीमत नहीं है?
जवानों की जान की कोई कीमत नहीं?
शौर्य चक्र विजेता ब्रिगेडियर हरदीप सिंह सोही (रिटायर्ड) ने जवानों की शहादत को लेकर केन्द्र सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं और पूछा है, कि ‘क्या जवानों की जान की कोई कीमत नहीं है।’ ब्रिगेडियर हरदीप सिंह सोही (रिटायर्ड) ने ट्वीट करते हुए पूछा है, कि “दुर्भाग्य से हमने डोडा में एक कैप्टन और तीन रैंक वाले सैनिकों को खो दिए हैं और आतंकवादी भागने में कामयाब हो गए हैं। सरकार क्यों सो रही है?? पाकिस्तान के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? क्या ऐसा है, कि सैनिकों की जान अब कोई मायने नहीं रखती? जय हिंद।” शौर्य चक्र विजेता ब्रिगेडियर हरदीप सिंह सोही (रिटायर्ड) जो सवाल उठा रहे हैं, वही सवाल देश के बाकी लोगों के मन में भी है, कि आखिर इन आतंकवादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। आखिर देश के जवानों की कब तक मौत होती रहेगी। आखिर क्या वजह है, कि कश्मीर में फिर से आतंकवाद शुरू हो गया है?
न्यूज चैनल आजतक के मैनेजिंग एडिटर गौरव सावंत ने ब्रिगेडियर हरदीप सिंह सोही (रिटायर्ड) के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, कि “पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद के साथ डोडा मुठभेड़ में आर्मी अधिकारी और सैनिक मारे गए हैं। भारत का नुकसान असहनीय है। पुलवामा 2019 में 40 से ज्यादा सैनिक मारे गये थे, जिसके कारण बालाकोट हमला किया गया। टीम PMO को पाकस्तानी सेना और जिहादियों के जटिल मिश्रण पर कठोर प्रहार करना होगा। इस जड़ को काटना होगा।” उन्होंने लिखा है, कि “भारत को समग्र राष्ट्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। BCCI को ICC से अपील करनी चाहिए, कि जब तक पाक सेना भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवाद पर नकेल नहीं कसती, तब तक पाकिस्तान को क्रिकेट खेलने वाले देश के तौर पर बैन किया जाए।” उन्होंने आगे लिखा है, कि “भारतीय फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्री को आतंकवादियों को समर्थन देने वाले को संपूर्ण बहिष्कार करना चाहिए और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर और प्रहार करने के लिए ग्लोबल इकोनॉमिक दबाव डालने की जरूरत है।”
आतंकवादियों पर कैसे लग सकती है लगाम?
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पारिस्थितिकी तंत्र और ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं को तत्काल गिरफ्तार करने की जरूरत है और उन पर सख्ती से मुकदमा चलाने और उन्हें दंडित करने की जरूरत है। इसके अलावा पीर पंजाल के ऊंचे इलाकों में सुरक्षा बलों को तैनात करके सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करने की जरूरत है। आतंकवादियों के क्षेत्र को और कसने की जरूरत है और उनके एक्टिव जोन को लगातार कसते कसते कम करने की जरूरत है। एलओसी के पार स्थित आतंकी ठिकानों पर फिर से हमला करने की जरूरत है और आतंकवादियों के ठिकानों को फिर से तबाह करने की जरूरत है। गौरव सावंत, जो अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं, उन्होंने लिखा है, कि “1999 में कारगिल युद्ध को कवर किया और उससे पहले लाहौर की बस यात्रा हुई थी। आईसी 814 अपहरण, संसद हमले की जांच, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी हमलों सहित कई आतंकवादी हमले हुए हैं। पाकिस्तान लगातार एक सुसंगत नीति का पालन कर रहा है। उन्होंने लिखा है, कि “पाकिस्तान ने 1947 से एक ही नीति अपनाई है। भारत को खून से लथपथ करो। जिहाद के नाम पर काफिरों को मारना पाक आतंकवाद को ‘वैधता’ देता है और भारत के भीतर एक खास पारिस्थितिकी तंत्र से उसे समर्थन मिलता है। अगर मोदी 1.0 और 2.0 में बालाकोट और अनुच्छेद 370 जैसे कदम गेम चेंजर थे, तो मोदी 3.0 का ध्यान खतरे को खत्म करने पर होना चाहिए।”