भाजपा प्रदेश प्रभारी डा. सतीश पूनिया ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के भारत सरकार के निर्णय का स्वागत किया है और प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। सोशल मीडिया पर लिखते हुए उन्होंने कहा कि 25 जून का दिन संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था तब लोगों ने कितने कष्ट सहे थे। यह दिन हर उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का दिन है जिन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।
डा. सतीश पूनिया ने कहा कि 25 जून 1975 वह काला दिवस था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही मानसिकता ने हमारे संविधान में निहित लोकतंत्र की हत्या कर देश पर ’आपातकाल’ थोपा था। उन्होंने कहा कि यह दिवस हमारे सभी महापुरूषों के त्याग व बलिदान का स्मरण कराएगा जो कांग्रेस के इस तानाशाही मानसिकता के विरुद्ध संघर्ष करते हुए संविधान की रक्षा व लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए यातनाएं सही और दिवंगत हो गए।
प्रदेश प्रभारी ने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता के चलते भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंटा था। आपातकाल में लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ’संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया यह ऐतिहासिक है।
डा. पूनिया ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए।