बिहार के रूपौली विधानसभा उपचुनाव की जीत-हार से भले ही सरकार पर कोई असर नहीं पड़े, लेकिन यह चुनाव आरजेडी और जेडीयू के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है. बीमा भारती के इस्तीफे से खाली हुई रुपौली सीट पर जेडीयू अपना दबदबा बनाए रखने के लिए सीएम नीतीश कुमार सहित कैबिनेट मंत्रियों की पूरी फौज ने कैंप कर रखा है.
जेडीयू छोड़कर आरजेडी में आईं बीमा भारती को जिताने के लिए पूरा इंडिया गठबंधन एकजुट है. यही नहीं जिस बीमा भारती के चलते पप्पू यादव को निर्दलीय चुनाव में उतरना पड़ा था, अब उसे ही जिताने के लिए मशक्कत वह कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि पप्पू यादव आरजेडी प्रत्याशी बीमा भारती को समर्थन करके तेजस्वी यादव को रिझाना चाहते हैं या फिर नीतीश को हराकर इंडिया गठबंधन को मजबूत करने का प्लान है?
लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू की विधायक रही बीमा भारती ने पार्टी को अलविदा कह दिया था और आरजेडी में शामिल होकर पूर्णिया संसदीय सीट से चुनाव में उतरी थीं, लेकिन निर्दलीय पप्पू यादव से चुनाव हार गई थीं. रुपौली सीट पर उपचुनाव हो रहा है, जहां से आरजेडी ने बीमा भारती को प्रत्याशी बनाया है. जेडीयू ने कलाधर मंडल पर दांव खेला है. इसके अलावा एलजेपी के बागी शंकर सिंह के निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है. बीमा भारती 2010 से लगातार विधायक चुनी जाती रही हैं, लेकिन अब जेडीयू के बजाय आरजेडी से किस्मत आजमा रही हैं. ऐसे में जेडीयू यह सीट हरहाल में जीतना चाहती है और सीएम नीतीश कुमार के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन गई है.
रुपौली में एनडीए के नेताओं का जमावड़ा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित एक दर्जन मंत्रियों को लेकर शनिवार को रुपौली पहुंचे थे, जिसमें मंत्री संजय झा, लेसी सिंह, दिलीप जायसवाल, रेणु देवी, विजय चौधरी, शिक्षा मंत्री सुनील कुमार, शीला मंडल जैसे दिग्गज शामिल थे. इस दौरान सभी मंत्रियों ने जेडीयू प्रत्याशी कलाधर मंडल के पक्ष में प्रचार करके सियासी माहौल बनाने की कवायद करते नजर आए. नीतीश कुमार ने बीम का नाम लिए बगैर कहा कि जिसको बोलते नहीं आता था, हमने उन्हें कई बार विधायक बनाया. दो बार मंत्री बनाया, लेकिन लोभ में वह दूसरे दल में चली गईं. ऐसे धोखेबाजों को चुनाव में सबक सिखाने का काम करें. सम्राट चौधरी ने भी बीमा भारती पर हमला करते हुए कहा कि जो अपनों का नहीं हुआ वह जनता का क्या होगा.
रुपौली विधानसभा उपचुनाव में जेडीयू ने बड़े नेताओं को पंचायत स्तर पर जिम्मेदारी सौंप रखी है. जेडीयू ने अपने नेताओं की 21 टीमें बनाई हैं. जातीय समीकरण का ख्याल रखते हुए उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में लगाया गया है. इससे समझा जा सकता है कि जेडीयू कलाधर मंडल को हर हाल में जीत का प्रयास कर रही. रुपौली सीट जेडीय और नीतीश कुमार के लिए साख का सवाल बनी हुई है. इसीलिए किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है.
रुपौली सीट पर आरजेडी की नजर
वहीं, आरजेडी भी इस सीट को हरहाल में जीतना चाहती है, जिसके लिए सभी घोड़े खोल रखे हैं. आरजेडी ने रुपौली सीट के सभी पंचायतों में अलग-अलग तीन-तीन प्रभारी नियुक्त किए हैं. इनमें पूर्व विधायक, विधायक और एमएलसी व पूर्व एमएलसी तक शामिल हैं. ये सभी उन पंचायतों में कैंप किए हैं. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव खुद मौर्चा संभाल रखा है और लगातार रुपौली के लोगों को साधने में जुटे हैं. पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सोमवार को बीमा भारती को जिताने के लिए प्रचार में उतरेंगे.
लोकसभा चुनाव में बीमा भारती के खिलाफ पुर्णिया संसदीय सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पप्पू यादव ने सारे गिले-शिकवे भुलाकर रुपौली विधानसभा सीट के उपचुनाव में बीमा भारती के समर्थन में उतर गए हैं. पप्पू यादव ने कहा कि उपचुनाव में कांग्रेस ने आरजेडी की प्रत्याशी बीमा भारती को समर्थन का ऐलान किया है और वो कांग्रेस पार्टी के फैसले के साथ है. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में पप्पू यादव ने बीमा भारती को ही पराजित किया था, जिसके बाद ऐसी चर्चा थी कि पप्पू यादव इस उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार से दूरी बना सकते हैं. बीमा भारती ने पप्पू यादव से मुलाकात की थी. इसके बाद ही ये तय हो गया था कि पप्पू यादव उपचुनाव में बीमा भारती को समर्थन दे सकते हैं.
पूर्णिया में बाहुबली का प्रभाव नहीं चाहते पप्पू यादव
पप्पू यादव ने कहा कि रूपौली में उपचुनाव आठ-नौ महीने के लिए हो रहा है. ऐसे में वो किसी भी कीमत किसी बाहरी को नहीं आने देंगे. पूर्णिया क्षेत्र में कोई बाहर से क्रिमनल आए और वो तय करे कि वोट किसको देना है और किसको नहीं देना है, ये इस जन्म में उन्हें स्वीकार्य नहीं है. पप्पू यादव जिस नवगछिया के क्रिमनल की बात कर रहे हैं और उनका नाम लेने से बच रहे हैं, लेकिन उनका इशारा जेडीयू के बाहुबली के विधायक की तरफ है. पप्पू यादव अपने इलाके में किसी बाहुबली का प्रभाव नहीं चाहते हैं, जिसके लिए ही वो बीमा भारती को जिताने के लिए समर्थन में उतर गए हैं.
पप्पू यादव का एक तीर से कई शिकार
रुपौली विधानसभा सीट पर बीमा भारती को समर्थन करके पप्पू यादव एक तीर से कई शिकार करना करना चाहते हैं. पप्पू यादव जीत के बाद कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन है. इसके चलते बीमा भारती का विरोध करके पप्पू यादव को कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलने वाला, क्योंकि उनके विरोध करने पर जेडीयू की राह आसान हो सकती है. जेडीयू की जीत मिलने से भविष्य में खतरा पप्पू यादव का है. ऐसे में पप्पू यादव उपचुनाव में बीमा भारती का विरोध करके बिहार में अपना सियासी नुकसान नहीं उठाना चाहते हैं. बीमा भारती के साथ हुई मुलाकात में यह बात साफ हो गई है कि अब उनके बीच दुश्मनी नहीं रह गई.
लालू परिवार के साथ सियासी दुश्मनी नहीं चाहते पप्पू
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पप्पू यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का विरोध करके इंडिया गठबंधन में उनका बने रहना आसान नहीं है. पप्पू यादव अब लालू परिवार के साथ सियासी दुश्मनी को और आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि उसमें नफा-कम नुकसान ज्यादा है. माना जा रहा है कि बीमा भारती का समर्थन करके आरजेडी और तेजस्वी यादव के साथ अपने रिश्ते को दोबारा से मजबूत करने की रणनीति है. बिहार में आने वाला वक्त तेजस्वी यादव का है और पप्पू यादव मंझे हुए नेता हैं. वो जानते हैं कि तेजस्वी यादव के साथ बनाकर चलने में ही है. जेडीयू में उनके लिए सियासी जगह नहीं है, जिसके चलते बीमा भारती को हराकर भी कुछ फायदा नहीं मिलने वाला. इन्हीं सारे गुणा-गणित करने के बाद ही पप्पू यादव ने बीमा भारती को समर्थन करने का ऐलान किया है.
रुपौली विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा आबादी गंगोता समाज के मतदाताओं की हैं. इसी समाज से बीमा भारती हैं और जेडीयू के कलाधर मंडल भी आते हैं. मंडल पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके. अब दोबारा से किस्मत आजमा रहे हैं. रूपौली सीट के सियासी समीकरण को देखें तो 90 फीसदी से भी ज्यादा अति पिछड़ी जाति, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाता है. आरजेडी और जेडीयू के प्रत्याशी गंगोत समाज से होने के चलते दोनों ही प्रत्याशियों के बीच इनका वोट बंटना तय है. ऐसे में दलित, अल्पसंख्यक और गैर-गंगोत ओबीसी वोटों को जो भी साधने में कामयाब रहता है, उसकी जीत तय है. देखना है कि रुपौली में पप्पू यादव के बीमा भारती को समर्थन करने का क्या सियासी फायदा होता है?