आपातकाल को लेकर लोकसभा में नव निर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के भाषण को लेकर सियासत गरमा गई है।
उत्तराखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने ओम बिरला के कार्य व्यवहार को उनके संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ बताया है।
उन्होंने कहा कि ओम बिरला द्वारा लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित होते ही जिस प्रकार सदन में आपातकाल पर पार्टी विशेष के नेता की भांति भाषण दिया गया वह उनके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि ओम बिरला पर उनके पिछले कार्यकाल में भी इसी प्रकार के आरोप लगे थे तथा उन्होंने सदन में जिस प्रकार बिना चर्चा कराये कई अध्यादेश पारित किये तथा विपक्षी दल के सदस्यों पर बडी संख्या में लोकतंत्र की परम्पराओं के विपरीत निलम्बन की कार्रवाई की गई।
वह उनके पद की गरिमा के अनुकूल नहीं कहा जा सकता है। करन माहरा ने कहा कि आपातकाल को लोग उसी समय नकार चुके थे जब जनता पार्टी सरकार पतन के बाद इन्दिरा गांधी के नेतृत्व मे कांग्रेस पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था।
उन्होंने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी और लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक गरिमामयी पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा लोकतंत्र की दुहाई देकर आपातकाल के लिए कांग्रेस पार्टी को कोसना शोभा नहीं देता। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाए गए देश के संविधान को बदलने की चेष्टा कर आरएसएस का संविधान थोपने की चेष्टा की है।
उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सभी दलों एवं उनके सदस्यों के प्रति समानता का भाव रखेंगे, लेकिन ओम बिरला द्वारा लोकसभा अध्यक्ष चुने जाते ही जिस प्रकार का संकेत दिया है वह संवैधानिक पद की गरिमा तथा स्वस्थ लोकतंत्र की परम्पराओं के विपरीत है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक है जो किसी पार्टी विशेष से नहीं जुड़ा होता है लेकिन नव निर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने पद की गरिमा के खिलाफ जाकर कांग्रेस पार्टी पर व्यकितगत हमले बोलते हुए लोकसभा के सदन में पहले ही दिन जिस प्रकार का व्यवहार किया है तथा वर्षों से चली आ रही परम्पराओ को तोड़ने का काम किया है वह संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ है।