लोकसभा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। इसे लेकर चुनाव आयोग के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बीच लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा के बाद शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव चिन्ह को लेकर जल्द से जल्द निर्णय लेने की मांग की है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने इस पत्र में मांग की है कि पिछले साल उसे आवंटित ‘तुतारी’ निशान से मिलते-जुलती ‘पिपानी’ को चुनाव चिन्हों की सूची से बाहर किया जाए। ‘पिपानी’ (Pipani Instrument) निशान निर्दलीय प्रत्याशियों को देने की वजह से लोकसभा चुनाव में हमें भारी नुकसान हुआ है। इसलिए इस मामले में फैसला लिया जाए, नहीं तो हम सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
शरद पवार गुट का बड़ा दावा
एनसीपी (शरद पवार) ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर चुनाव चिन्ह को लेकर बड़ा दावा किया है। वरिष्ठ पवार की पार्टी की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में हमने ‘तुतारी बजाते शख्स’ चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था। लेकिन आम चुनाव में कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को भी ऐसा ही चुनाव चिह्न दिया गया। इससे पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है।
शरद पवार गुट ने दावा किया कि सतारा की सीट हम जीतने वाले थे, लेकिन तुतारी जैसे चुनाव चिह्न के कारण हमारे हाथ से सीट निकल गई। ‘तुतारी’ और ‘पिपानी’ (Pipani Instrument) प्रतीकों के बीच काफी समानता है। इससे आम मतदाता जल्दी फर्क नहीं समझ पता है। इससे हमारा वोट किसी और को मिल गया। अब आगामी विधानसभा चुनाव में इसका असर न पड़े, इसलिए शरद पवार गुट ने इस संबंध में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।
पिछले साल अजित पवार के बीजेपी के साथ जाने से एनसीपी दो गुटों में बंट गई। बाद में अजित दादा ने एनसीपी पार्टी और घड़ी चुनाव चिह्न पर दावा किया। कई महीनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चुनाव आयोग ने अजित पवार के पक्ष में फैसला सुनाया। तब शरद पवार गुट को ‘तुतारी’ का चुनाव चिह्न दिया।
लोकसभा चुनाव 2024 में एनसीपी के संस्थापक शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने महाराष्ट्र में 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इनमें से 8 सीटों पर जीत हासिल की। जबकि अजित पवार गुट ने चार सीटों पर प्रत्याशी उतारे, इनमें से एकमात्र रायगढ़ सीट पर विजय मिली। खुद अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार प्रतिष्ठा की लड़ाई माने जाने वाले बारामती निर्वाचन क्षेत्र में अपनी भाभी सुप्रिया सुले से हार गईं।
मालूम हो कि अविभाजित एनसीपी ने 2019 के चुनावों में 54 विधानसभा सीटें जीती थीं। जुलाई 2023 में पार्टी विभाजित हो गई और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट में लगभग 40 विधायक चले गए।