प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी भारत आए थे. शपथ ग्रहण के अगले दिन सोमवार को मुइज्जू ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से दिल्ली में मुलाकात की है.
दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच यह मुलाकात हुई है. नई सरकार के गठन के कुछ ही घंटों बाद हुई ये मुलाकात दोनों देशों के बीच संबंधों को नए सिरे से शुरू करने में मददगार साबित हो सकती है.
नई दिल्ली में मोहम्मद मुइज्जू से मिलने के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘आज नई दिल्ली में मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात करके बहुत खुशी हुई. भारत और मालदीव के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद है.’
भारत विरोधी रही है छवि
मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की छवि भारत विरोधी रही है. मुइज्जों ने अपने चुनाव प्रचार के समय से ही भारत के खिलाफ टिप्पणी करनी शुरू कर दी थी. चुनाव प्रचार के समय मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था और जीतने के बाद उन्होंने मालदीव के धरती से भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को पूर्ण रूप से खत्म भी कर दिया है. उनकी सरकार आने के बाद से ही मालदीव और उसकी समुद्री सीमा में चीन का दखल तेजी से बड़ा है, जो भारत के लिए खतरे का संकेत है.
भारत के लिए क्यों जरूरी है मालदीव?
मालदीव और भारत के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं, लेकिन हाल ही में रिश्तों में दूरी बनी हुई है. मालदीव समुद्र के बीच बसा एक छोटा सा देश है, लेकिन रणनीतिक और भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए अहम है. मालदीव की भारत से दूरी भारतीय सेना की हिंद महासागर में पकड़ को कमजोर कर सकती है. इसके अलावा मालदीव भारतीय टूरिस्टों की भी पहली पसंद है. उम्मीद की जा रही है इस मुलाकात के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में सुधार आएगा.