चण्डीगढ़ : हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों से एमबीबीएस करने वाले डॉक्टरों को न्यूनतम दो वर्ष तक अनिवार्य तौर पर राज्य के अस्पतालों में नौकरी करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इससे प्रदेश में चिकित्सकों की कमी दूर होगी।
स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने आज यहां चल रहे हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि इस प्रस्ताव पर कानूनी राय ली जा रही है। इसके क्रियान्वित होने पर प्रदेश के किसी भी अस्पातलों में डॉक्टरों की कमी नहीं रहेगी।
श्री विज ने कहा कि अब डॉक्टरों को उनके गृह जिलें में भी नियुक्त किया जा सकता है क्योंकि राज्य सरकार ने इस सम्बन्ध में ब्रिटिश राज के समय से चले आ रहे एक कानून को निरस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की मांग को पूरा करने के मद्देनजर 662 डॉक्टरों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया है, जिसके लिए लगभग 1800 आवेदन प्राप्त हुए हंै। इसकी चयन प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी। उन्होनें कहा कि प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को दूर करने और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए गत वर्ष में भी डॉक्टरों की भर्ती की गई थी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विभाग ने राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मार्च-अप्रैल महीने डॉक्टरों के ऑनलाइन स्थानांतरण करने का निर्णय लिया है। इससे चिकित्सकों को किसी प्रकार दिक्कत नही होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे सरकारी अस्पतालों में ओपीडी मरीजों की संख्या में 19.17 प्रतिशत की वृद्घि हुई है।
श्री विज ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बोलते हुए कहा कि कालांवाली के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को आगामी वित्तवर्ष के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में अपग्रेड किया जाएगा। इसके अलावा, डबवाली तथा चौटाला गांव के स्वास्थ्य केन्द्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाएगी और शीघ्र वहां महिला चिकित्सक और अन्य आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था की जाएगी।