नई दिल्ली/टीम डिजिटल। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक जून को लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से पहले बुधवार को लोगों से नीतियों में बदलाव के लिए सरकार बदलने का आह्वान किया।
एसकेएम ने यहां जारी एक बयान में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर किसानों की आर्थिक स्थिति खराब करने वाली नीतियां लागू करने का आरोप लगाया।
साथ ही उसने कहा कि रद्द किए जा चुके कृषि कानून उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए थे। एसकेएम ने एक बयान में कहा, “एसकेएम लोगों से केंद्र की कॉरपोरेट समर्थक और किसान विरोधी भाजपा सरकार को दंडित करने का आह्वान करता है।” बयान में कहा गया है, “मोदी सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को जानबूझकर खराब करने के लिए नीतियां बनाई और लागू कीं, ताकि किसानों की जमीन हड़प कर उन्हें खेती-किसानी से दूर किया जा सके।”
बयान में कहा गया है, “तीनों कृषि अधिनियम और मुक्त व्यापार समझौते कॉरपोरेट को बढ़ावा देने के लिए थे, जो बाद में फसल उत्पादन व खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण कर सकते थे और मुनाफाखोरी व आम लोगों पर अत्याचार करने के लिए एकाधिकार जमा सकते थे।” एसकेएम ने कहा, “एसकेएम लोगों से किसानों को कर्ज के जाल से मुक्त करने, पर्याप्त सार्वजनिक निवेश सुनिश्चित करने, कृषि के उत्थान के लिए ब्याज मुक्त ऋण, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने और गरीबी उन्मूलन के लिए नीतियों में बदलाव के लिए सरकार बदलने की अपील करता है।”
तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसान संगठनों के प्रमुख संगठन एसकेएम ने यह भी कहा कि वह 18वीं लोकसभा के चुनाव को “कृषि के कॉरपोरेटीकरण” के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने और कृषि और कृषि आधारित औद्योगिक विकास की वैकल्पिक नीति को सुविधाजनक बनाने के लिए एक अवसर मानता है। किसान संगठन ने विशेष रूप से दलितों, आदिवासियों और ओबीसी से “आरक्षण की रक्षा के लिए भाजपा को अस्वीकार करने” की अपील की।
संगठन ने आरोप लगाया, “एसकेएम दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग के लोगों से अपील करता है कि वे एकजुट होकर भाजपा को खारिज करें, ताकि वे निजीकरण, ठेका मजदूरी और भाजपा की भर्ती न करने की नीति से अपने आरक्षण के अधिकार की रक्षा कर सकें। भर्ती पर प्रतिबंध के कारण रेलवे समेत केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 30 लाख से अधिक पद खाली हैं।”